पपीता एक पर परागण वाली फसल है और इसका व्यावसायिक प्रवर्धन बीज के द्वारा होने के कारण एक ही प्रजाति में बहुत अधिक भिन्नता पायी जाती है| वर्तमान में भारत में पपीता की कई किस्में विभिन्न प्रदेशों में उगायी जा रही है| जिनमें प्रमुख रूप से 20 उन्नत किस्में है और कुछ स्थानीय एवं विदेशी [Read More] …
Horticulture
केला फसल के प्रमुख कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
केला में अनेक कीट एवं रोग हानी पहुचाते है| जिनमें उकठा रोग, लीफ स्पॉट, एन्छेक्नोज, शीर्ष गुच्छा रोग और धरी विषाणु रोग प्रमुख है| जो की ज्यादातर कवक एवं विषाणु के द्वारा फैलते है| इसी प्रकार कीटों में प्रमुख है, प्रकन्द छेदक, तना भेदक, माहू, थ्रिप्स और पत्ती खाने वाली इल्ली प्रमुख है| जो की [Read More] …
केले की उन्नत किस्में | केले की सबसे अच्छी किस्में कौन सी है?
केले की खेती के लिए देश और दुनिया में 300 से अधिक किस्में पाई जाती है| लेकिन इनमें से 15 से 20 क़िस्मों को ही व्यवसायिक तौर पर बागवानी के लिए उपयोग में लाया जाता है| केले की विभिन्न प्रजातियों को दो वर्गों में बाँटा गया है, पहला वे किस्में जो फल के रूप में [Read More] …
अमरूद के पुराने और अनुत्पादक बागों का जीर्णोद्धार कैसे करें
अमरूद के पुराने और अनुत्पादक बागों का जीर्णोद्धार आवश्यक है| क्योंकि अमरूद भारत में पाया जाने वाला उच्च गुणवत्ता वाला फल है| अपनी अनेक प्रकार के मौसम और मृदाओं में सफलतापूर्वक उगने की क्षमता तथा उच्च विटामिन सी उपलब्धता के कारण इसे अन्यान्य फलों से श्रेष्ठ माना गया है| लेकिन वर्तमान समय में अमरूद के [Read More] …
अमरूद की किस्में | अमरूद की सबसे अच्छी किस्में कौन सी है?
पिछले कुछ समय से अमरूद की इलाहाबाद सफेदा और लखनऊ- 49 (सरदार) किस्में व्यावसायिक तौर पर काफी प्रचलन में रही है| इसके अतिरिक्त अर्का मृदुला, अर्का अमूल्या, अर्का किरण, नवीन किस्में व तीन संकर अर्का अमूल्य, सफेद जाम, कोहिर सफेदा किस्में है, जो राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर एवं ललित व श्वेता केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी [Read More] …
अमरूद में कीट एवं रोग नियंत्रण कैसे करें; जानिए उपयोगी तकनीक
भारतवर्ष में अमरूद एक लोकप्रिय फल है| अमरूद के आर्थिक व व्यापारिक महत्व की वजह से किसानों का रुझान इसकी तरफ काफी बढ़ रहा है, लेकिन दूसरी ओर जलवायु परिवर्तन के कारण तरह-तरह की नई समस्याओं जिनमें कीट एवं रोग, जड़ गॉठ सूत्रकृमि, पोषक तत्वों की कमी आदि की जानकारी के अभाव में किसानों को [Read More] …
आम के अनियमित फलन नियंत्रण में पॉलीथिन मल्चिंग का महत्व
आम के अनियमित फलन को नियंत्रण करना आवश्यक है| क्योंकि आम की बागवानी उष्ण एवं उपोष्ण दोनों ही प्रकार की जलवायु में सफलतापूर्वक की जा सकती है| इसकी बागवानी समुद्र सतह से लेकर 1200 मीटर तक ऊँचाई वाले हिमालय क्षेत्र में की जाती है| किन्तु व्यावसायिक दृष्टि से इसकी बागवानी 600 मीटर की ऊँचाई तक [Read More] …
आम की संकर किस्में | आम की सबसे अच्छी किस्में कौन सी है?
आम की अच्छे गुणों और नियमित फल देने वाली सामान्य या संकर किस्में विकसित करने के लिए मुख्य रूप से कोडुडूर (आन्ध्र प्रदेश), सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) और सबौर (बिहार) में छठे दशक के प्रारम्भ में अनुसंधान कार्य प्रारंभ किया गया| इसके बाद आम संकरण का योजनाबद्ध कार्यक्रम कई अनुसंधान संस्थानों, जैसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, [Read More] …
आम के विकार और उनका प्रबंधन कैसे करें, जानिए अधिक उपज हेतु
जिस प्रकार आम के बागो को अनेक प्रकार के कीट एवं रोग हानी पहुंचाते है| उसी प्रकार अनेक प्रकार के विकार भी आम के बागों को प्रभावित करते है| आम के विकार इस प्रकार है, जैसे- गम्मा विकार, अनियमित फलन, फलों का गिरना, ब्लेक टिप या कोयलिया विकार, झुमका विकार, आंतरिक विगलन विकार, पाले का [Read More] …
आम की नर्सरी तैयार कैसे करें | आम के पौधे कैसे तैयार करें?
व्यावसायिक उत्पादन के लिए आम की उन्नत किस्मों की माँग निरन्तर बढ़ती जा रही है| इस कारण नर्सरी का महत्व भी बढ़ता जा रहा है| दूसरी ओर आम की पौधशालाओं के जरिए अधिक लाभ भी कमाया जा सकता है| अच्छी वैज्ञानिक विधियों से सम्भाली गयी नर्सरियों में एक निश्चित इकाई में ज्यादा संख्या में पौधे [Read More] …