सब्जियों की जैविक खेती, हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतिशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि-रक्षा-रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोत्तरी हुई| लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है| इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में [Read More] …
Organic Farming
गोमूत्र का कृषि में महत्व: जाने कीटनाशक, लाभ, उपयोग और विधि
गोमूत्र व गोबर एक सस्ता और श्रेष्ठ उर्वरक के रूप में सर्वश्रेष्ठ खाद है| यह भूमि का प्राकृतिक आहार है, भूमि की उर्वरा शक्ति को प्राकृतिक स्थिति में बनाए रखती है| प्रदूषण रहित एवं सस्ती है, इसके लिए किसान को परावलंबी नहीं रहना पड़ता| गोबर व गोमूत्र की खाद से उत्पादित खाद्य पदार्थ स्वादिष्ट एवं [Read More] …
नीम का कृषि में महत्व: उर्वरक, कीटनाशक और रोगनाशी में उपयोग
भारत देश की मिट्टी में पैदा होने वाला लोक मंगलकारी तथा सर्व व्याधि निवारक बहुउपयोगी वृक्ष नीम भारत की ग्रामीण सभ्यता और संस्कति की पहचान बन चुका है| नीम ग्रामीण समाज में इस कदर रच बस गया है, कि इसके बगैर हमारे नित्य प्रतिदिन के कार्य कल्पना के बाहर हैं| इस लेख में नीम का कृषि में [Read More] …
ट्राइकोडर्मा क्या जैविक खेती के लिए वरदान है; उपयोग और फायदे
ट्राइकोडर्मा पादप रोग प्रबंधन विशेष तौर पर मिट्टी जनित बिमारियों के नियंत्रण के लिए बहुत की प्रभावशाली जैविक विधि है| यह स्वतंत्र जीवन वाला कवक है, जो कि मिट्टी तथा जड़ पारिस्थितिक तंत्र में सामान्य है| यह जड़, मिट्टी और पत्ते के वातावरण में परस्पर प्रभाव डालता है| यह विभिन्न विधियों द्वारा जैसे पारिस्थितिक, रोग [Read More] …
धान की खेती में जैव नियंत्रण एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन कैसे करें
धान की खेती में जैव नियंत्रण और एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन, परिणाम स्वरूप सघन और एकल खेती तथा रसायनों के अविवेक पूर्ण एवं अत्यधिक प्रयोग से जहां, एक और जैव विविधता का ह्रास हुआ है| वहीं रोग जनकों और कीटों में रसायनों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हुई है| यही कारण है, कि धान की खेती [Read More] …
जैव नियंत्रण एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन | एकीकृत कीट और रोग नियंत्रण
जैव नियंत्रण एकीकृत नाशीजीव नियंत्रण, परिणाम स्वरूप सघन और एकल कृषि तथा रसायनों के अविवेक पूर्ण तथा अत्यधिक प्रयोग से जहां, एक और जैव विविधता का ह्रास हुआ है| वहीं रोग जनकों एवं कीटों में रसायनों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हुई है| यही कारण है, कि निरन्तर रसायनिक दवाओं के प्रयोग के बावजूद कीट [Read More] …
हरी खाद उगाकर मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाएं
मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बनाये रखने के लिए हरी खाद एक सस्ता और अच्छा विकल्प है| सही समय पर फलीदार पौधे की खड़ी फसल को मिट्टी में ट्रेक्टर से हल चला कर दबा देने की प्रतिक्रिया को हरी खाद कहते हैं| इस लेख में किसान भाइयों की जानकारी के लिए इस खाद के लाभ [Read More] …
राइजोबैक्टीरिया का उपयोग मृदा स्वास्थ्य सुधार हेतु कैसे करें
राइजोबैक्टीरिया का उपयोग, वर्तमान में कृषि में हो रहे रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों के अधांधुध प्रयोग ने पैदावार में वृद्धि के साथ-साथ कई स्वास्थ्य और पर्यावरण समस्याओं को जन्म दिया है| पंजाब के मालवा क्षेत्र में इसका प्रत्यक्ष उदाहरण देखा जा सकता है| जहां कृषि में हो रहे रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग ने [Read More] …
जीवामृत बनाने की विधि: सामग्री, उपयोग, प्रभाव और फायदे
जीवामृत, वर्तमान में खेती आमतौर पर विदेशों से आयातित या अपने देश में निर्मित कृषि रसायनों पर आधारित है| परिणाम स्वरूप खेती निरन्तर महंगी, विषाक्त जल एवं वातावरण प्रदूषण की समस्या भयावह होती जा रही है| कृषि रसायन के अंधाधुंध उपयोग के कारण भूमि में जीवान्श (जैविक कार्बन) की कमी होती जा रही है| देश [Read More] …
अलसी की जैविक खेती: किस्में, बुवाई, खाद तत्व, देखभाल, उत्पादन
अलसी की जैविक खेती, यह तिलहनी फसल है जो एक या दो पानी में तैयार हो जाती है| अलसी किसानों को कम लागत में समुचित आर्थिक लाभ पहुंचाती है| इसके भूसे और छोटे रेशों का उपयोग कलात्मक कागज एवं हार्डबोर्ड बनाने के लिए कच्चा माल के तौर पर भी उपयोग किया जाता है| खुरदुरे अलसी [Read More] …