आमतौर पर आलू कन्दों को लगाकर आलू का उत्पादन किया जाता है| आलू उत्पादन की यह प्रचलित विधि दुनिया के अधिकांश या यों कहें कि करीब-करीब सभी क्षेत्रों में अपनायी जाती हैं| लेकिन ऐसा देखा जाता है कि लगातार आलू के कन्दों को लगाकर आलू पैदा करने से ये कन्द बीमारियों के घर बन जाते हैं तथा कंदों में जनित बीमारियाँ बढ़ जाती हैं एवं परिणाम यह होता है, कि इनकी उपज क्षमता घट जाती हैं| इनकी उपज क्षमता बनाये रखने के लिए प्रत्येक दो तीन साल के अन्तराल पर रोगों से मुक्त शुद्ध बीज पैदा करना पड़ता है|
एक तो इतने बड़े पैमाने पर आलू का बीज पैदा करने में आलू उत्पादन का खर्च बहुत बढ़ जाता है| इन सब कठिनाईयों का कम करने के लिए आलू के वास्तविक बीज (टी पी एस) से आलू की नई तकनीक विकसित की गयी है| इस तकनीक से कम से कम लागत पर बड़े पैमाने पर आलू पैदा किया जा सकता है| यह तकनीक रबी आलू उत्पादन के लिए करीब सभी क्षेत्रों में उपयोगी पायी गयी है| वास्तविक बीज (टी पी एस) से आलू उत्पादन के लिए कुछ मुख्य बातें इस प्रकार हैं, जैसे-
यह भी पढ़ें- आलू की उन्नत खेती कैसे करें
आलू का उत्पादन बीज के द्वारा तकनीक (टीपीएस)
1. पौधा तैयार करने के लिए सर्वप्रथम पौधशाला की बहुत बारीकी से तैयारी करें, दो ग्राम बीज बोने के लिए एक वर्गमीटर जमीन की आवश्यकता होती है| एक हैक्टेयर में आलू रोपाई के लिए 20 ग्राम बीज और इतने बीज से पौध तैयार करने के लिए करीब 60 वर्गमीटर जमीन की आवश्यकता पड़ती है| एक मीटर चौड़ी और आवश्यकतानुसार लम्बी पौधाशाला को चिन्हित कर लें|
2. चिन्हित जमीन से दस सेंटीमीटर गहराई तक मिट्टी निकालकर उसे बाहर कर दें, अलग खेत की मिट्टी सुखाकर उसे धूल बनाकर छलनी से छान लें| उतनी ही मात्रा कम्पोस्ट या सड़ी हुई गोबर की खाद लें और उसे भी महीन करके छलनी से छान लें, दोनों की बराबर-बराबर मात्रा लेकर उसे अच्छी प्रकार मिला लें| इस मिश्रण से गढ्ढे को 8 सेंटीमीटर भर दें| उसमें प्रतिवर्ग मीटर के हिसाब से करीब 10 ग्राम यूरिया, 40 से 50 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट और 15 ग्राम म्यूरियेट ऑफ पोटाश खाद देकर अच्छी प्रकार मिट्टी में मिला दें और गड्ढे का बाकी हिस्सा दो सेंटीमीटर उपरी सतह महीन कम्पोस्ट से भर कर उसे समतल बना लें|
3. पौधशाला में तैयारी के बाद दस-दस सेंटीमीटर की दूरी पर ऊंगली के सहारे 1/2 सेंटीमीटर गहरी लाइने बना लें व उसमें बीज को सावधानी से बोआई करके उसे आधा सेंटीमीटर महीन कम्पोस्ट से ढंक दें|
4. पौधशाला की एक दो बार प्रतिदिन स्प्रेयर से हल्की सिंचाई करें, ताकि मिट्टी नम रहे, एक सप्ताह में पौधे निकल आयेंगे|
5. जब पौधे उग आयें तो दो तीन दिन के बाद से प्रत्येक 2 से 3 दिन के अन्तराल पर यूरिया के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करते रहें, जिससे कि पौधा 25 से 30 दिनों में रोपाई के लिए तैयार हो जायें|
यह भी पढ़ें- आलू की उन्नत किस्में, जानिए विशेषताएं और पैदावार
6. रोपाई के लिए खेत की अच्छी प्रकार तैयारी कर लें| खेत तैयारी के समय ही नेत्रजन की आधी और स्फूर तथा पोटाश खाद की पूरी मात्रा खेत में छिंटकर मिट्टी में मिला दी जाती है| कम्पोस्ट या गोबर की सड़ी खाद भी उसी समय खत में मिला दी जाती है|गोबर तथा रसायनिक खादों की मात्रा रबी फसल के लिए अनुशंसित मात्रा के बराबर ही दी जाती है|
7. तैयार खेत में 50 से 50 सेंटीमीटर की दूरी पर करीब दस सेंटीमीटर ऊँची मेड पूरब से पश्चिम दिशा की लम्बाई में बना लें, उनकी हल्की सिंचाई करें, ताकि आधी मेंड़ भींग सके|
8. आमतौर पर संध्या समय में मेंड की उत्तरी दिशा में 10 से 10 सेंटीमीटर की दूरी पर पौध की रोपाई खुरपी की सहायता से करें, पौध की जड़ में नमी अवश्य ही रहनी चाहिये|
9. रोपाई के दूसरे दिन भी क्यारियों में हल्की सिंचाई पहले जैसी ही करें फिर चार व आठ दिनों के बाद भी हल्की सिंचाई करें, ताकि पौधे जड़ पकड़ लें|
10. एक महीने के बाद मेड़ों की निराई-गुड़ाई करके नाईट्रोजन खाद की आधी मात्रा देकर मिट्टी इस प्रकार चढ़ावें, ताकि पौधे मेंड़ों के बीच में आ जायें|
11. आलू का उत्पादन बीज के द्वारा के लिए मुख्य रबी फसल की भांति सिंचाई 8 से 10 दिनों के अन्तराल पर करें और खुदाई से दस दिन पहले सिंचाई बन्द कर दें|
12. आलू का उत्पादन बीज के द्वारा में अन्य सस्य क्रियाएँ और पौधा संरक्षण विधियाँ मुख्य फसल जैसी ही अपनाकर अच्छी पैदावार लें|
13. खुदाई के बाद बीज आकार के अनुसार कन्दों का वर्गीकरण कर शीत गृहों में बीज के लिए शेष को खाने के उपयोग में लायें|
14. आलू का बीज से उत्पादन समय पर बोआई, रोपाई करने तथा उचित देखभाल करते रहने पर मुख्य फसल के सामान ही वास्तविक बीज से खेती करके किसान 250 से 400 क्वींटल प्रति हेक्टर आलू का उत्पादन कर सकते हैं|
यह भी पढ़ें- आलू बीज उत्पादन की उन्नत तकनीक
यदि उपरोक्त जानकारी से हमारे प्रिय पाठक संतुष्ट है, तो लेख को अपने Social Media पर Like व Share जरुर करें और अन्य अच्छी जानकारियों के लिए आप हमारे साथ Social Media द्वारा Facebook Page को Like, Twitter व Google+ को Follow और YouTube Channel को Subscribe कर के जुड़ सकते है|
Leave a Reply