खजूर की उन्नत किस्में: खजूर के फल पोष्टिक तत्वों से भरपूर और स्वादिष्ट होते है| फल के गुदे में जल ( 20 प्रतिशत), शर्करा ( 60 प्रतिशत), रेशे (2.5 प्रतिशत ) प्रोटीन (2 प्रतिशत), वसा, पोटेशियम, कैलिशयम, तांबा, मैग्नीशियम, क्लोरिन, गंधक, फासफोरस तत्व पाए जाते है| विटामिन ए व बी भी उपलब्ध होते है| कार्बोहाइड्रेट प्रचुरता के कारण 1 किग्रा ताजा फलों से लगभग 3150 कैलोरी उर्जा प्राप्त होती है| फलों को कच्चा (ताजा फल), मुलायम (पिण्ड खजूर) एवं चुनिंदा किस्मों को सुखाकर (छुआरा ) उपयोग में लाया जाता है| खजूर की पतीयां झाडू, पंखे व रस्सी बनाने के काम आती है|
खजूर में पोष्टिक खनिज लवणों की अधिकता होने के कारण यह शरीर में रोगरोधी क्षमता पैदा करती है| यह कैंसर रोग की तीव्रता को घटाती है| इसके प्रयोग से पाचन शक्ति बढती है| कमी व अंधापन जैसी बीमारियों से बचाता है| खांसी जुखाम बुखार को कम करने में बहुत उपयोगी है हृदय संबधित बीमारियों तथा डायबीटिज को कम करने में सहायक है| खजूर की उन्नत और अच्छी क्वालिटी वाली किस्मों की विशेषताएं, फल अवस्था और पैदावार का विवरण इस प्रकार है|
यह भी पढ़ें- खजूर की खेती: जलवायु, किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
खजूर की उन्नत किस्में
खजूर की किस्मों की उपयोगिता के अनुसार वर्गीकरण, इस प्रकार है, जैसे-
उपयोग | किस्मों के अपेक्षित गुण | किस्में |
डोका फल खाने के लिए | डोका अवस्था में फल कसैले न हों व मीठे | बरही, हलावी, खलास, खुनेजी और सेवी |
छुहारे बनाने के लिए | फलों में गूदे की मोटाई अधिक हो | मैडजूल, जाहिदी,खदरावी और शामरान |
पिण्ड खजूर बनाने के लिए | फल तुड़ाई के समय पूर्ण डोका/डांग अवस्था प्राप्त कर लें | मैडजूल, जाहिदी, खदरावी, हलावी, खलास, शमरान और जगलूल |
खजूर रस एवं परिरक्षित उत्पाद बनाने हेतु | फलों का रंग आकर्षक लाल हो तथा उनमें महक होनी चाहिए | हलावी, जगलूल, सूरिया और अत्शोक |
यह भी पढ़ें- आम की किस्में: जाने विशेषताएं और पैदावार
खजूर की प्रमुख किस्मों की विशेषताएं और पैदावार
बरही: इस किस्म की उत्पत्ति बसरा, इराक से हुई हैं| इस किस्म के फल मध्यम आकार के और डोका अवस्था में सुनहरे पीले रंग के होते हैं| इस किस्म के डोका अवस्था से पूर्व के हरे फल भी प्रायः कसैलें नही होते हैं| फल का औसत वजन 13.6 ग्राम, कुल घुलनशील ठोस पदार्थ 31.5 प्रतिशत होता है| यह मध्यम देरी से पकने वाली किस्म हैं| इसके डोका अवस्था में फल मीठे एवं स्वादिष्ट होते हैं जो इसकी अन्य किस्मों से अलग पहचान बनाते हैं| इसकी औसत पैदावार 200 किलोग्राम प्रति पौधा तक हैं| इस किस्म से सकर्स का उत्पादन कम सामान्यतः 3 से 5 होता है|
उपज: इसकी औसत पैदावार 200 किलोग्राम प्रति पौधा तक हैं|
मैडजूल: इस किस्म की उत्पत्ति मोरक्को से हुयी है| इसके फलों का रंग डोका अवस्था में पीला नारंगीपन लिये हुए होता हैं, लेकिन इस अवस्था में फल कसैले होते है| इसके फल आकार में काफी बड़े 20 से 40 ग्राम वजन के एवं आकर्षक होते हैं| फल का औसत वनज 22.80 ग्राम, कुल घुलनशील ठोस पदार्थ 34.5 प्रतिशत तथा फल देरी से पककर तैयार होते है| इस किस्म के फलों में वर्षा से कम नुकसान होता हैं| इससे 20 से 25 सकर्स का उत्पादन आसानी से हो जाता है|
उपज: इसकी औसत पैदावार 100 किलोग्राम प्रति पौधा तक हैं|
खलास: इस खजूर की किस्म के फल डोका अवस्था में पीले एवं मीठे होते है| फल का औसत वजन 15. 2 ग्राम तथा कुल घुलनशील ठोस पदार्थ की मात्रा 25 प्रतिशत होती है| फलों की परिपक्वता की अवधि मध्यम होती है|
उपज: इसकी औसत पैदावार 75 किलोग्राम प्रति पौधा तक हैं|
हलावी: इस खजूर की किस्म के फल डोका अवस्था में पीले रंग के एवं मीठे होते हैं और उनमें कसैलापन नगण्य होता है| फल का औसत वनज 12.6 ग्राम तथा कुल घुलनशील ठोस पदार्थ 31 प्रतिशत होता हैं| इस किस्म के फल जल्दी पककर तैयार हो जाते हैं|
उपज: इसकी औसत पैदावार 90 किलोग्राम प्रति पौधा तक हैं|
यह भी पढ़ें- सेब की किस्में: क्षेत्रवार, विशेषताएं और पैदावार
जाहिदी: इस किस्म के फल डोका अवस्था में पीले एवं कसैले होते हैं| फल काफी ठोस तथा उनका छिलका काफी चिकना एवं सख्त होता हैं, जिससे फल वर्षा होने पर आसानी से खराब नहीं होते है| इन गुणों के कारण इसके फलों के पिण्ड अच्छे बनते है| फल का औसत वजन 10.1 ग्राम तथा कुल घुलनशील ठोस पर्दाथ की मात्रा 35.5 प्रतिशत होती है| फल देरी से पककर तैयार होते है|
उपज: इसकी औसत पैदावार 125 किलोग्राम प्रति पौधा तक हैं|
खदरावी: इस खजूर की किस्म के फल डोका अवस्था में पीला हरापन लिए होते हैं तथा कसैले होते हैं| फल का औसत वजन 12.9 ग्राम तथा कुल घुलनशील ठोस पदार्थ की मात्रा 36 प्रतिशत होती है| फलों की परिपक्वता की अवधि मध्यम होती है| डोका अवस्था व उसके बाद की अवस्थाओं में फलों को वर्ष एवं अधिक वातावरणीय नमी से बहुत अधिक हानि होती है|
शामरान: इस किस्म के फल डोका अवस्था में निचले सिरे पर हल्की बैंगनी झांई लिए पीले होते है| इस अवस्था में फल कसैले होते हैं| फल का औसत वजन 13.3 ग्राम तथा उसमें कुल घुलनशील ठोस पदार्थ की मात्रा 34.5 प्रतिशत हैं| फलों की परिपक्वता की अवधि मध्यम होती है|
उपज: इसकी औसत पैदावार 100 किलोग्राम प्रति पौधा तक हैं|
खुजी: इस खजूर की किस्म के फल डोका अवस्था में लाल रंग के तथा मीठे होते है| फल का गूदा कुरकुरा तथा स्वादिस्ट होता है| फल का औसत वनज 10.2 ग्राम तथा उनमें कुल घुलनशील ठोस पदार्थ की मात्रा 43 प्रतिशत होती है। फल जल्दी पककर तैयार हो जाते हैं|
उपज: इसकी औसत पैदावार 50 किलोग्राम प्रति पौधा तक हैं|
जगलूल: इस खजूर की किस्म के फल डोका अवस्था में लाल रंग के तथा कसैले होते है| फल का औसत वजन 10.7 ग्राम तथा कुल घुलनशील ठोस पदार्थ की मात्रा 28 प्रतिशत होती है| फल देरी से पककर तैयार होते हैं|
यह भी पढ़ें- बागवानी पौधशाला की स्थापना: देखभाल और प्रबंधन
अगर आपको यह लेख पसंद आया है, तो कृपया वीडियो ट्यूटोरियल के लिए हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें| आप हमारे साथ Twitter और Facebook के द्वारा भी जुड़ सकते हैं|
Leave a Reply