गन्ने की उन्नत किस्मों की क्षमता के अनुसार उत्पादन ले पाना तभी संभव है| जब उसके लिए उचित ज्योमित और अनुकूल जल एवं मिटटी प्रबन्धन तथा क्षेत्र की प्रचलित किस्म उपलब्ध हो| गन्ने की आँख के समुचित अंकुरण, जड़ों के विकास तथा फसल की ओज के लिए प्रारम्भिक आवश्यकता है, की गन्ना बुआई के समय बीज गन्ने और मिटटी में उत्तम सम्पर्क हो|
जड़ों की मिटटी के गहरे संस्तरो तक पहुच के लिए मिटटी का आभासी घनत्व कम और जल धारण क्षमता अधिक होनी चाहिए| जिससे किसान बन्धु गन्ने की अपने क्षेत्र की प्रचलित किस्म से अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते है| इस लेख में गन्ने की क्षेत्रवार उन्नत किस्में और उनकी विशेषताओं और पैदावार का विस्तृत विवरण उपलब्ध है| गन्ना की उन्नत खेती की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- गन्ना की खेती- किस्में, प्रबंधन व पैदावार
गन्ने की क्षेत्रवार उन्नत किस्में
उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र-
अगेती किस्में- कोएच- 92201, कोशा- 95255, को- 98014, कोशा- 96268, कोशा 8272, को- 0118, को- 0238, को- 0237, कोपीके- 05191 को- 05009, सी ओ 66-17, सी ओ पन्त 84211 आदि प्रमुख है|
पछेती किस्में- कोशा- 91230, कोपंत- 90223, कोशा- 94270, कोएच- 119, कोपंत- 97222, कोजे- 20193, कोएस- 96275, को- 0124, कोएच- 128, को- 05011, को- 06034 आदि प्रमुख है|
उत्तरी मध्य और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र-
अगेती किस्में- को- 87263, को- 87268, को- 89029, कोसे- 95422, कोसे- 96234, कोलक- 94184, कोसे- 01421, को- 0232, को जे एन- 86141, को- 86572, को- 94008, को जे एन- 9823 आदि प्रमुख है|
पछेती किस्में- बीओ 128, कोसे 92423, को 0233, कोपी 06436 (कोपी 2061), को 86032, को 7318, को जे एन 86600, को जे एन 9505 आदि प्रमुख है|
प्रायद्वीपीय क्षेत्र-
अगेती किस्में- को- 85004, को- 94008, को- 0403, कोशंक- 05103 आदि प्रमुख है|
पछेती किस्में- को- 86032, को- 87025, को- 87044, को- 8371, कोएम- 7714, कोएम- 88121, को- 91010, को- 99004, को- 2001-13, को- 2001-15, को- 0218, को- 06027, कोशंक- 05104 आदि प्रमुख है|
पूर्वी तटीय क्षेत्र-
अगेती किस्में- कोसी 01061, कोउ 03151 आदि मुख्य है|
पछेती किस्में- को 86249, को 06030 आदि प्रमुख है|
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गन्ने की क्षेत्रवार उन्नत किस्में और विशेषताएं
अगेती किस्में-
को- 0238 (करन- 4)- यह गन्ने की किस्म मध्यम मोटी और धूसर भूरे रंग की होती है| यह लाल सड्न रोग की प्रतिरोधी किस्म है| इसकी गन्ना की पैदावार 80 टन प्रति हैक्टर तथा इसमें शर्करा 18 प्रतिशत पाई गयी है|
को- 0237 (करन- 8)- इसका गन्ना मध्यम मोटा और पीले रंग का होता है| यह लाल सड़न रोग की प्रतिरोधी किस्म है| इस गन्ने की 70 टन प्रति हैक्टर पैदावार क्षमता के साथ इसमें 18.75 प्रतिशत शर्करा होती है|
को पी के 05191- इस किस्म का गन्ना मध्यम मोटाई का होता है| यह किस्म लाल सड़न रोग के प्रति मध्यम अवरोधी है| यह सूखा तथा जलप्लावित क्षेत्रों के लिए भी उपयुक्त पाई गई है| इसकी गन्ने की पैदावार 85 से 90 टन प्रति हैक्टर और शर्करा 17 प्रतिशत है|
को 94184- शीघ्र पकने वाली यह गन्ने की किस्म पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में जलप्लावन की स्थिति के लिए सहनशील होने के कारण गन्ने की पैदावार में कमी नहीं आने देती तथा इसकी पेडी भी अच्छी प्राप्त होती है|
कोशा 8272- उत्तर भारत के लिए यह शीघ्र पकने वाली किस्म 84 से 87 टन प्रति हैक्टर और पेड़ी में 75 से 78 टन प्रति हैक्टर गन्ने की पैदावार देने में सक्षम है|
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सी ओ 66-17- कम पैदावार देने वाली इस अगेती किस्म के गन्ने की लगभग 2.5 मीटर लम्बाई और 2.5 सेंटीमीटर मोटाई, हरे रंग के ठोस व सीधे अपेक्षाकृत कम चौड़ी पत्तियों वाले होते हैं| नवम्बर में पकने वाली यह किस्म आड़ी नहीं गिरती है| इसमें शर्करा की मात्रा अधिक होती है, इसलिए यह किस्म मिल के लिये सर्वोत्तम है| सूखा व पाला सहन कर सकने वाली इस किस्म की पेड़ी बहुत अच्छी होती है और गुड़ अच्छा बनता है| यह ऐसे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है, जहाँ लाल सड़न रोग का प्रकोप नहीं पाया जाता है| इसमें पायरिला का प्रकोप भी कम पाया जाता है, इसकी पैदावार 70 से 75 टन प्रति हेक्टर और इसकी पेड़ी की फसल की पैदावार 65 टन प्रति हेक्टर होती है|
सी ओ पन्त 84211- यह एक अगेती किस्म है, जिसमें अच्छा अंकुरण होता है और कल्लों की संख्या भी अच्छी होती है| पेड़ी के लिए उपयुक्त इस किस्म का गन्ना पीला हरा होता है और हल्के जामुनी रंग की झलक होती है| गन्ने की औसत लम्बाई दो से ढाई मीटर तथा एक गन्ने का वजन 800 ग्राम होता है| इस गन्ने की किस्म की औसत पैदावार 70 से 85 टन प्रति हेक्टर और 10 माह की फसल में ग्लूकोज की मात्रा 18 से 18.5 प्रतिशत होती है| इसमें लाल सड़न व कण्डवा रोग का प्रकोप भी कम होता है|
सी ओ जे 64- यह किस्म गन्ने की अगेती किस्म है और 300 दिन में पककर तैयार होती है| इसका रंग हल्का पीला है| यह किस्म पेड़ी के लिए भी अत्यन्त उपयुक्त होती है| इसके गन्ने की औसत लम्बाई 2 मीटर से 2.5 मीटर तक और एक गन्ने का औसत भार 750 ग्राम से 850 ग्राम होता है| इस किस्म के गन्ने आड़े नहीं पड़ते हैं इसकी औसत पैदावार 70 से 75 टन प्रति हेक्टर होती है| इसमें शर्करा की मात्रा 17.5 से 18.0 प्रतिशत तक होती है| यह किस्म लाल सड़न रोग व कण्डवा रोग से प्रतिरोधी है|
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सी ओ 00421- गन्ने की यह किस्म अगेती है| इसकी औसत पैदावार 85 से 90 टन प्रति हेक्टर है, इसका गन्ना थोड़ा पतला व हल्के हरे रंग का होता है| पत्तियाँ कम चौड़ी होती हैं| इसमें शर्करा 17 से 18 प्रतिशत होता है| यह किस्म लाल सड़न रोग और कण्डवा रोग की प्रतिरोधी है| यह किस्म गुड़ बनाने के लिए भी उत्तम है| इसकी पेडी फसल भी उचित रहती है| इसकी औसत पैदावार 65 से 75 टन प्रति हेक्टर है|
को जे एन 86141- गन्ने की इस अगेती किस्म की जड़ी अच्छी, उत्तम गुड़, शक्कर अधिक, उक्ठा, कंडवा, लाल सड़न अवरोधी, शर्करा प्रतिशत 22 से 24 और औसत पैदावार 90 से 110 टन प्रति हेक्टेयर है|
को 86572- गन्ने की यह अगेती किस्म अधिक चीनी, अधिक कल्ले, पाईरिल्ला और अग्रतना छेदक का कम प्रकोप, उक्ठा, कंडवा, लाल सड़न अवरोधी, शर्करा प्रतिशत 20 से 24 और औसत पैदावार 90 से 112 टन प्रति हेक्टेयर है|
को 94008- गन्ने की यह अगेती किस्म अधिक उत्पादन, अधिक चीनी, उक कंडवा, लाल सड़न अवरोधी, शर्करा प्रतिशत 18 से 20 और औसत पैदावार 100 से 110 टन प्रति हेक्टेयर है|
को जे एन 9823- गन्ने की यह अगेती किस्म अधिक उत्पादन, अधिक चीनी, उक कंडवा, लाल सड़न अवरोधी, शर्करा प्रतिशत 20 और औसत पैदावार 100 से 110 टन प्रति हेक्टेयर है|
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मध्य देर से पकने वाली गन्ने की किस्में-
को पंत 97222- इसका गन्ना मध्यम मोटाई और हल्के हरे रंग का होता है| यह लाल सड़न के प्रति मध्यम रोगरोधी है| इसकी पैदावार 80 से 85 टन प्रति हैक्टर और शर्करा 17 प्रतिशत है|
को 128- यह किस्म लाल सड़न रोग के प्रति मध्यम अवरोधी है और इसकी पेड़ी उत्तम होती है| इसके गन्ने की पैदावार 80 से 85 टन प्रति हैक्टर और शर्करा 16.5 से 17.5 प्रतिशत है|
को- 05011(करन- 9)- इसका गन्ना मध्यम मोटाई का होता है| यह किस्म लाल सड़न रोग के प्रति मध्यम अवरोधी है| इसकी पेड़ी बहुत ही उत्तम होती है| इसकी पैदावार 75.8 टन प्रति हैक्टर और इसमें शर्करा 17 से 18 प्रतिशत मिलती है|
सी ओ 419- गन्ने की यह देर से पकने वाली और अधिक उपज देने वाली यह किस्म चिकनी मिट्टी के लिए अधिक उपयुक्त है| इसकी औसत पैदावार 100 से 120 टन प्रति हेक्टर होती है|
सी ओ एस 767- सूखे और पाले के प्रति सहनशील, भारी मिट्टी वाले क्षेत्रों हेतु उपयुक्त, सामान्य से मध्यम समय में पकने वाली इस किस्म का जमाव अच्छा होता है| ठोस गन्ने वाली और न गिरने वाली गुड के लिए उपयुक्त इस किस्म की पेड़ी की फसल अच्छी होती है| लाल सड़न तथा कण्डवा रोग रोधी इस किस्म में कीड़ों का प्रकोप भी कम होता है और पैदावार 80 से 100 टन प्रति हेक्टर होती है|
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सी ओ 1007- भारी मिट्टी वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त मध्यम समय में पकने वाली यह किस्म आड़ी नहीं गिरती तथा इसकी पेड़ी भी अच्छी होती है| सभी परिस्थितियों में उगाये जाने वाली इस किस्म पर कीड़ों का प्रकोप भी कम होता है और इसकी पैदावार 80 से 100 टन प्रति हेक्टर तक होती है|
सी ओ 1148- मध्यम समय में पकने वाली यह गन्ने की किस्म भारी मिट्टी वाले क्षेत्रों के लिए उपयोगी है| इसके गन्ने लगभग ढाई मीटर लम्बे व सवा दो सेंटीमीटर मोटे ठोस और सीधे रहने वाले होते हैं| इसमें शर्करा की मात्रा 17 प्रतिशत और उत्पादन क्षमता 80 से 100 टन प्रति हेक्टर है| यह सूखा सहने की क्षमता रखती है और लाल सड़न रोग से कम प्रभावित होती है|
को 86032- गन्ने की यह किस्म मध्य देर से पकने वाली उत्तम गुड़, अधिक चीनी, कम गिरना, जडी गन्ने के लिए उपयुक्त, पाईरिल्ला और अग्रतना छेदक का कम प्रकोप, लाल सड़न कंडवा उक्ठा प्रतिरोधी, शर्करा प्रतिशत 22 से 24 और औसत पैदावार 110 से 120 टन प्रति हेक्टेयर है|
को 7318- गन्ने की यह किस्म मध्य देर से पकने वाली अधिक चीनी, रोगों का प्रकोप कम, पपड़ी कीटरोधी, शर्करा प्रतिशत 18 से 20 और औसत पैदावार 120 से 130 टन प्रति हेक्टेयर है|
के 99004- गन्ने की यह किस्म मध्य देर से पकने वाली लाल सड़न कंडवा उक्ठा प्रतिरोधी, शर्करा प्रतिशत 20 से 22 और औसत पैदावार 120 से 140 टन प्रति हेक्टेयर है|
को जे एन 86600- गन्ने की यह किस्म मध्य देर से पकने वाली उत्तम गुड़, अधिक चीनी, पाईरिल्ला और अग्रतना छेदक का कम प्रकोप, लाल सड़न कंडवा उक्ठा प्रतिरोधी, शर्करा प्रतिशत 22 से 23 और औसत पैदावार 110 से 130 टन प्रति हेक्टेयर है|
को जे एन 9505- गन्ने की यह किस्म मध्य देर से पकने वाली अधिक उत्पादन, अधिक चीनी, उक्ठा, कंडवा, लाल सड़न अवरोधी, शर्करा प्रतिशत 20 से 22 और औसत पैदावार 100 से 110 टन प्रति हेक्टेयर है|
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