गेहूं की उन्नत किस्मों का चुनाव क्षेत्रीय अनुकूलता और बीजाई के समय को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए, ताकि इनकी उत्पादन क्षमता का लाभ लिया जा सके| गेहूं की उन्नत पैदावार के लिये बलुई दोमट, अच्छी उर्वरा व जलधारण क्षमतायुक्त मिट्टी वाले सिंचित क्षेत्र उपयुक्त है|
खाद्य सुरक्षा और संप्रभुता की दृष्टि से भारत का गेहूँ उत्पादन में अहम स्थान है| भारत में गेहूं की उत्पादकता और उपज को और अधिक बढ़ाने की अपार संभावनाएं है| इसलिए किसानों को अधिक उपज और आय में वृद्धि हेतु वैज्ञानिक विधि से खेती करने की आवश्यकता है| यदि आप गेहूं की खेती की आधुनिक जानकारी चाहते है, तो यहां पढ़ें- गेहू की खेती
गेहूं की खेती अधिकांशतः सिंचित क्षेत्रों में की जाती है| गेहूं की किस्में अधिक उपज देने वाली और उनसे अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिये उन्नत विधियों का विवरण यहां प्रस्तुत किया जा रहा है| गेहूं की उन्नत किस्में और उनका विवरण इस प्रकार है, जैसे-
गेहूं की किस्में
गेहूं की उन्नत किस्मों का चयन अच्छी पैदावार लेने के लिए करना बहुत जरूरी है| किसानों को अनुमोदित किस्मों को बुवाई के समय और उत्पादन स्थिति के हिसाब से लगाना चाहिए| समय से बुवाई वाली किस्मों को देरी की अवस्था में या देरी से बुवाई वाली किस्मों को समय से बोने पर उपज में कमी हो सकती है|
सिंचित क्षेत्र (समय पर बुवाई)- एच डी 2888, डी.एल. 803, एच डी 2967, यू पी 2382, एच यू डब्ल्यू 468, जी. डब्लू190, एच डी 2733, के 307 (शताब्दी), डब्ल्यू एच 542, डब्ल्यू एच 1105, एच डी 2964, एच.आई.1077, डी पी डब्ल्यू 621-50, पी बी डब्ल्यू 550, पी बी डब्ल्यू 17, पी बी डब्ल्यू 502, एच डी 2687, पी डी डब्ल्यू 314 (कठिया), पी डी डब्ल्यू 291 (कठिया), पी डी डब्ल्यू 233 (कठिया), डब्ल्यू एच 896 (कठिया), राज 3077, राज 1555, लोक 1, एच आई 1077, एच.आई. 8381, डब्ल्यू एच 147, एच आई 8381, एच आई 8498, जी डब्ल्यू 190, डी एल 803-3, जी डब्ल्यू 273, जी डब्ल्यू 322, पी डी डब्ल्यू 215, राज 4037, राज 3777, एच आई 1544 और एच आई 1531 इत्यादि गेहूं की प्रमुख किस्में है|
बुआई का समय- नवंबर के प्रथम सप्ताह से नवंबर के अंतिम तक|
बीज की दर- 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर|
दुरी- कतार से कतार की दुरी 20 से 23 सेंटीमीटर|
यह भी पढ़ें- सरसों की खेती कैसे करें: किस्में, देखभाल और पैदावार
सिंचित क्षेत्र (देर से बुवाई)- पी बी डब्ल्यू 373, पी बी डब्ल्यू 590, जी.डब्लू. 273, जी. डब्लू. 173, डब्ल्यू एच 1021, पी बी डब्ल्यू 16, एच यू डब्ल्यू 510, के 9423, के 9423, (उन्नत हालना), के 424 (गोल्डन हालना), लोक 1, राज 3765, जी डब्ल्यू 173, जी डब्ल्यू 273, एच डी 2236, राज 3077, राज 3777, एच.डी. 2932 आदि गेहूं की प्रमुख किस्में है|
बुआई का समय- दिसम्बर के अंत तक|
बीज दर- 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर|
दुरी- कतार से कतार की दुरी 20 से 23 सेंटीमीटर|
वर्षा आधारित (समय से बुवाई)- पी बी डब्ल्यू 396, के 8962, के 9465, के 9351, एच डी 2888, मालवीय 533 आदि गेहूं की मुख्य किस्में है|
बुआई का समय- अक्तूबर के द्वितीय पक्ष से लेकर नवम्बर के प्रथम पक्ष तक|
बीज दर- 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर|
दुरी- कतार से कतार की दुरी 25 से 30 सेंटीमीटर|
ऊसर (लवणीय एवं क्षारीय) क्षेत्र हेतु (सिंचित क्षेत्र, समय पर बुवाई)- के आर एल 213, के आर एल 210, के आर एल 19, के 8434, राज 3077 इत्यादि गेहूं की प्रमुख किस्में है|
बुआई का समय- अक्तूबर के द्वितीय पक्ष से लेकर नवम्बर के द्वितीय पक्ष तक|
बीज दर- 100 से 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर|
दुरी- कतार से कतार की दुरी 20 से 23 सेंटीमीटर|
असिंचित क्षेत्र (समय पर बुआई)- सुजाता, डब्ल्यू.एच. 2004, एच.डी. 4672 आदि गेहूं की प्रमुख किस्में है|
बूआई का समय- अक्तूबर के अंत से मध्य नवम्बर तक|
बीज दर- 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर|
दुरी- कतार से कतार की दुरी 25 से 30 सेंटीमीटर|
ध्यान रखे- सिंचित क्षेत्र में बीज को 5 सेन्टीमीटर से अधिक गहरा न बोये, बीज का समान रूप से उपयोग करें, ताकि कोई खाली जगह नहीं रह जाये|
यह भी पढ़ें- जौ की खेती: किस्में, बुवाई, देखभाल और पैदावार
गेहूं की किस्मों की विशेषताएं और पैदावार
डी.एल. 803- गेहूं की इस किस्म के दाने का आकार मध्यम, बुआई के लिए अनुकुल समय 15 से 25 नवम्बर है| सिंचित किस्म है, 1000 बीज का औसत वजन 40 से 42 ग्राम है, औसत पैदावार 50 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, फसल अवधि 120 से 125 दिन में पककर तैयार होती है|
जी. डब्लू. 173- यह गेहूं की शरबती किस्म है, बुआई के लिए अनुकुल समय 15 से 20 दिसम्बर है, 1000 बीज का औसत वजन 40 से 42 ग्राम है, औसत पैदावार 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, अवधि 110 से 115 दिन|
एच.आई.1077- बुआई के लिए उपयुक्त समय 10 से 15 नवम्बर, 1000 बीजों का वजन 42 से 45 ग्राम, दाने शरबती और आकार मध्यम होता है, भूरे किट्टी के लिए प्रतिरोधक, प्रति हेक्टेयर पैदावार 50 से 60 क्विंटल, समय अवधि 125 से 130 दिन|
जी.डब्लू. 273- सिंचित अवस्था में उपयुक्त, मिट्टी की पोषक तत्व की मात्रा अधिक होनी चाहिए, प्रति हेक्टेयर पैदावार 50 से 60 क्विंटल, पकने की अवधि 110 से 115 दिन| यह गेहूं की किस्म सामान्य व देरी से बुवाई के लिये उपयुक्त है।
राज 1555- सामान्य समय पर बोई जाने वाली काठिया गेहूं की यह किस्म पर्याप्त सिंचाई और उर्वरता वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है, यह किस्म राज 911 से उपज, रोली रोधकता और दानों के गुणों में अधिक अच्छी साबित हुई है, यह द्विजीन, बौनी किस्म कम सिंचाई में भी अधिक उपज देती है, इसकी औसत उपज 40 से 50 क्विंटल प्रति हैक्टेयर और 1000 दानों का वजन 40 से 60 ग्राम है, यह किस्म राज 911 किस्म से 7 से 10 दिन पहले ही पकती है|
यह भी पढ़ें- चने की खेती: किस्में, बुवाई, देखभाल और पैदावार
लोक 1- द्विजीन बौनी, 85 से 90 सेंटीमीटर ऊँची इस किस्म के दाने सख्त एवं सुनहरी आभा वाले होते हैं और 1000 दानों का वजन 45 से 55 ग्राम होता है, जल्दी पकने के कारण इसकी उपज सामान्य एव पछेती, दोनों बुवाई की परिस्थितियों में अच्छी होती है, इस किस्म के दाने काला धब्बा रोग से अधिक प्रभावित होते है, यह गेहूं की किस्म 100 से 110 दिनों में पककर 40 से 45 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उपज देती है, यह किस्म बहुत देरी से जनवरी के प्रथम सप्ताह तक बुवाई के लिये भी उपयुक्त पाई गई है|
राज 3077- यह गेहूं की बौनी 115 से 118 सेन्टीमीटर ऊँची, अधिक फुटान वाली रोली रोधक किस्म है, मजबूत व मोटे तने के कारण यह किस्म आडी नहीं गिरती है, दाने शरबती, आभायुक्त, सख्त एवं मध्यम आकार के होते है, सामान्य और पिछेती बुवाई के लिये उपयुक्त होना इसकी विशेषता है, इसके अतिरिक्त साधारण लवणीय भूमि में भी इसकी खेती की जा सकती है, 40 से 60 क्विटल प्रति हैक्टेयर उपज देने वाली, इस किस्म के 1000 दानों का वजन 40 ग्राम होता है और इसकी पकाव अवधि 100 से 105 दिन है|
एच आई 8381- काली एवं भूरी रोली प्रतिरोधक, काठिया गेहूँ की यह किस्म सिंचित स्थितियों में उच्च खाद की मात्रा के साथ समय पर बुवाई हेतु उपयुक्त है, इसके पौधों की उंचाई 80 से 100 सेंटीमीटर और 1000 दानों का वजन 45 से 50 ग्राम होता है, 120 से 135 दिन में पककर 50 से 55 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उपज देती है|
यह भी पढ़ें- जई की खेती: किस्में, वुवाई, देखभाल और पैदावार
एच डी 2236- गेहूं की द्विजीन बौनी 80 से 85 सेंटीमीटर ऊँची यह किस्म 110 से 115 दिन में पककर तैयार होती है, इसका भूसा अन्य अधिक उपज देने वाली किस्मों के समान सख्त होता है, देरी से बुवाई के लिये उपयुक्त, इस किस्म के 1000 दानों का वजन 40 से 45 ग्राम और औसत उपज 30 से 35 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है|
जी डब्ल्यू 190- सिंचित परिस्थितियों में उच्च खाद की मात्रा के साथ काला धब्बा रोग प्रतिरोधी यह किस्म समय पर व अगेती बुवाई हेतु उपयुक्त है, रोली अवरोधी इस किस्म की उंचाई 95 से 100 सेंटीमीटर, पकाव अवधि 115 से 120 दिन और 1000 दानों का वजन 40 से 43 ग्राम होता है, औसतन 50 से 55 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उपज देती है|
डब्ल्यू एच 147- 60 से 75 सेन्टीमीटर उंची, सफेद बालियों वाली, यह किस्म सामान्य बुवाई स्थिति और सिंचित क्षेत्रों के लिये कल्याण सोना से अधिक उपयुक्त पाई गई है, इसका दाना अम्बर एवं 1000 दानों का वजन 42 से 54 ग्राम होता है, इसकी चपाती अच्छी बनने के कारण यह उपभोक्ताओं द्वारा पसंद की जाती है, इसके दाने बड़े आकार के सख्त और शरबती एवं औसत उपज 40 से 50 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है|
सुजाता- गेहूं की लंबे पौधों तथा सघन बालियों वाली, यह किस्म मध्यम समय में पकती है, इसके दाने सख्त और सुनहरी एवं 1000 दानों का वजन 45 ग्राम होता है, बारानी क्षेत्रों के लिये उपयुक्त इस किस्म की औसत उपज 10 से15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
राज 3777- रोली प्रतिरोधक, सिंचित अवस्था में जनवरी के प्रथम सप्ताह तक बुवाई हेतु उपयुक्त 70 से 75 सेंटीमीटर ऊँची, यह किस्म 90 से 100 दिन में पककर 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है, 1000 दानों का वजन 30 से 40 ग्राम होता है|
यह भी पढ़ें- रिजका की खेती: किस्में, वुवाई, देखभाल और पैदावार
राज 3765- गेहूं की द्विजीन बौनी, अधिक फुटान वाली, रोली प्रतिरोधक क्षमता युक्त, यह किस्म पिछेती बुवाई के लिये उपयुक्त है, इसका तना मजबूत होने के कारण यह आड़ी नहीं गिरती है, इसकी बुवाई दिसम्बर के तीसरे सप्ताह तक की जा सकती है, दाने शरबती, चमकीले आभा लिये सख्त और बड़े आकार के होते है, बालियां पकने पर सफेद और दाने सुनहरी आभायुक्त मोटे होते है, उपज क्षमता 45 से 50 क्विंटल प्रति हैक्टेयर और 100 दानों का वजन 35 से 40 ग्राम है, इसमें अधिक गर्मी सहने और सभी प्रकार के जैविक एवं अजैविक अवरोधों को सहने की क्षमता है|
एच. डब्ल्यू- असिंचित क्षेत्रों हेतु उपयुक्त इस किस्म की पैदावार सुजाता के बराबर है, लेकिन रोली रोधिता अधिक होती है, 1000 दानों का वजन 40-45 ग्राम होता है|
एच.आई.8498 (मालव शक्ति)- काठिया गेहूं की यह किस्म सबसे अधिक पैदावार देने वाली किस्म है, सिंचित अवस्था में इसकी औसत पैदावार 50 से 60 क्विंटल प्रति हैक्टर है, यह किस्म 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है, इसके एक हजार दानों का वजन 50 ग्राम होता है, यह किस्म निर्यात और पास्ता प्रोडक्ट्स के लिये उपयुक्त पाई गई है, यह किस्म रोली रोधक है, इसका दाना अम्बर रंग का होता है|
एच डी 4672- काठिया गेहूं की यह किस्म 75 से 80 सेंटीमीटर उंची है और 120 से 125 दिन में पककर तैयार हो जाती है, इसके दाने सुनहरी आभा वाले तथा 1000 दानों का वजन 45 से 50 ग्राम होता है, यह किस्म तीनो प्रकार की रोलियो से प्रतिरोधक है, बारानी भूमि में सफलतापूर्वक ली जाने वाली इस किस्म की औसत पैदावार 14 से 18 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है, चिड़ियों से फसल के बचाव के लिये विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है|
यह भी पढ़ें- गन्ना की खेती- किस्में, प्रबंधन व पैदावार
जी.डब्ल्यू. 322- सिचिंत और समय से बुवाई के लिये यह उपयुक्त है, इसकी बुवाई का समय नवम्बर का प्रथम पखवाड़ा है, इसका पौधा 85 सेन्टीमीटर उंचा और इसके पकने का समय लगभग 120 दिन है, इसकी पत्तियां चौडी, मोमयुक्त एवं मध्यम हरे रंग की होती है, कल्लो का फुटान एक साथ होने से उसके सभी दाने पूर्ण रूप से भरे हुये और औसत भार 40 ग्राम प्रति 1000 दाने में होता है, यह किस्म चपाती और डबल रोटी के लिए उपयुक्त है, इसकी उत्पादन क्षमता लगभग 47 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, इस किस्म में रोली रोग को सहने की क्षमता है|
पी.डी. डब्ल्यू. 215- सिंचित और समय से बुवाई के लिये काठिया गेहूं की एक उपयुक्त किस्म है, इसकी बुवाई का समय नवम्बर का प्रथम पखवाड़ा है, इसके पौधों की औसत उंचाई 97 सेन्टीमीटर और पकने का समय लगभग 142 दिन है, पत्तियां गहरे हरे रंग की होती है, यह किस्म सूजी, नूडल्स आदि के लिये उपयुक्त है, दानों का रंग सुनहरा और चमकदार होता है, प्रति 1000 दानों का औसत वजन 51 ग्राम होता है, उत्पादन क्षमता लगभग 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, यह किस्म रोली रोग के प्रति प्रतिरोधक है|
राज 4037- मध्यम ऊँचाई 85 से 95 सेंटीमीटर वाली यह किस्म सिचिंत क्षेत्र के लिए उपयुक्त है, यह किस्म अधिक फूटान वाली और तीनों प्रकार की रोलियो से मध्यम प्रतिरोधी है, तना मतबूत व पत्तियां हरे रंग की मोम रहित होती है, यह 125 से 130 दिन में पक जाती है, इस किस्म के दाने सख्त, शर्बती और चमकीली आभा लिये हुये मध्यम आकार के होते है, 1000 दानों का भार 40 से 42 ग्राम होता है, समय पर बुवाई के लिये सिंचित क्षेत्र में उपयुक्त इस गेहूं की किस्म की औसत उपज 45 से 55 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है|
यह भी पढ़ें- गेहूं की श्री विधि से खेती कैसे करें
एच.आई.1544- गेहूं की यह किस्म सिंचित क्षेत्रों और समय पर बुवाई नवम्बर के प्रथम पखवाड़े तक के लिये उपयुक्त है, इसके पौधे की ऊँचाई 95 से 98 सेंटीमीटर और पकाव अवधि 125 दिन है, इसकी पत्तियां गहरे हरे रंग की व दाने सख्त, शरबती और चमकीली आभा लिये मध्यम आकर के होते है, इसकी उत्पादन क्षमता लगभग 50 से 55 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है और 1000 दानों का वजन 40 से 42 ग्राम होता है, यह किस्म रोली रोग प्रतिरोधक है|
एच.आई.1531- यह गेहूं की किस्म कम पानी वाले क्षेत्रों के लिये उपयुक्त है, यह 135 से 140 दिन में पककर 30 से 35 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की पैदावार देती है, इसके 1000 दानों का वजन 40 से 42 ग्राम होता है, यह किस्म रोली रोधक है|
एच.डी. 2932- यह गेहूं की किस्म सिंचित क्षेत्रों में देरी से बुवाई के लिए उपयुक्त है, इसके पौधे की लंबाई 70 से 75 सेन्टीमीटर और पकने की अवधि 115 से 120 दिन है, इस किस्म में अधिक फुटान, गहरे हरे रंग की मोमरहित पत्तियां और तना मजबूत होता है, यह किस्म काली और भूरी रोली से प्रतिरोधी है, 1000 दानों का वजन 36 से 40 ग्राम होता है और इसकी औसत उपज 40 से 45 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है|
राज 4079- यह गेहूं की किस्म 75 से 80 सेंटीमीटर ऊँची, अधिक फुटान वाली, गर्म तापक्रम की सहनशीलता रखने वाली और रोली रोधक है, यह सामान्य बुवाई व सिंचित क्षेत्र के लिए उपयुक्त है, इसके दाने मध्यम आकार वाले और 1000 दानों का वजन 42 से 46 ग्राम तक होता है, यह 115 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाती हैं और गेहूं की इस किस्म की उपज 47 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है|
एच.आई.8713- काठिया गेहूं की किस्म सिंचित क्षेत्रों हेतु देरी से बुवाई के लिये उपयुक्त पायी गई है, यह किस्म 90 से 100 सेंटीमीटर ऊँची और अधिक फुटान वाली है, इसके दाने मोटे आकार वाले और 1000 दानों का वजन 47 से 52 ग्राम तक होता है, यह किस्म 125 से 135 दिनों में पककर 50 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है|
यह भी पढ़ें- जीरो टिलेज विधि से गेहूं की खेती कैसे करें
यदि उपरोक्त जानकारी से हमारे प्रिय पाठक संतुष्ट है, तो लेख को अपने Social Media पर Like व Share जरुर करें और अन्य अच्छी जानकारियों के लिए आप हमारे साथ Social Media द्वारा Facebook Page को Like, Twitter व Google+ को Follow और YouTube Channel को Subscribe कर के जुड़ सकते है|
Leave a Reply