हमारे देश के अधिकतर ग्रामीण युवक जिनकी रुचि आज सामान्य खेती करने में नहीं है, उनको ग्रीनहाउस (पॉली हाउस) जैसी नवीनतम खेती की तरफ आकर्षित करना संभव है| आज देश के बडे शहरों और विदेशों में उच्च गुणवत्ता वाली सब्जियों की मुख्य मौसम से पहले व बेमौसमी बढती मांग को देखते हुए भी इस प्रकार की संरक्षित सब्जी उत्पादन तकनीकी को अपनाना हमारे सब्जी उत्पादकों के लिये आवश्यक हो जाता है|
क्योंकि इस वैज्ञानिक तकनीकी दवारा सब्जियों तथा फूल वाली फसलों को वातावरण की प्रतिकूल परिस्थितियों और कीटों, विषाणु रोगों आदि से सुरक्षित रखकर उत्पादन करना संभव होता है और उसके अनेक फायदे है| टमाटर की बेमौसमी खेती भी उन्ही में से एक है| इस लेख में ग्रीनहाउस में टमाटर की बेमौसमी खेती कैसे करें तथा उसकी वैज्ञानिक तकनीक क्या है, का विस्तृत उल्लेख है| टमाटर की उन्नत खेती की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- टमाटर की उन्नत खेती कैसे करें
ग्रीनहाउस के प्रकार और लागत
कई प्रकार के ग्रीनहाउस में से एक प्रमुख है, प्राकृतिक रूप से वायुसंवाहित शून्य ऊर्जा ग्रीनहाउस जिसको बनवाने पर लगभग रू 700 से 1000 प्रति वर्ग मीटर का खर्च आता है|
ग्रीनहाउस में सिंचाई प्रणाली
कम दाब सिंचाई प्रणाली जिसमें 1000 लीटर पानी की टंकी को 1.5 से 2.0 मीटर ऊँचे प्लेटफार्म पर रखा जाता है और यह 1000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले ग्रीनहाउस की सिंचाई व फर्टीगेशन के लिये पूर्णतया सक्षम है|
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ग्रीनहाउस में टमाटर की बेमौसमी खेती के लिए उपयुक्त किस्में
ग्रीनहाउस में टमाटर उत्पादन के लिए केवल असीमित बढ़वार करने वाली किस्में जिनका फल भार लगभग 100 से 120 ग्राम हो और उनमें उच्च बाजार के लिए सभी महत्वपूर्ण गुण निहित हों, का चयन किया जाना चाहिये| अभी तक प्रचलित ऐसी किस्मों में अर्का सौरभ, अंगूरलता, पंत बहार, अर्का रक्षक; के परिणाम सबसे अच्छे रहे हैं और ये किस्में पूर्णतया ग्रीनहाउस में लम्बी अवधि तक 9 से 10 माह तक उत्पादन के लिए उपयुक्त है एवं चेरी टमाटर की विभिन्न किस्मों में पूसा चेरी टमाटर- 1 भी एक उपयुक्त व प्रमुख किस्म है|
ग्रीनहाउस में टमाटर की बेमौसमी खेती के लिए पौध उगाना
ग्रीनहाउस में टमाटर उत्पादन के लिए पौध को संरक्षित क्षेत्रों में उगाया जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है, कि पौध पूर्णतया विषाणु रोग रहित व स्वस्थ हों| पौध बीज बोने के लगभग 25 से 30 दिन बाद रोपाई योग्य हो जाती है| इस प्रकार 1000 वर्ग मीटर के ग्रीनहाउस में लगभग 2400 से 2600 पौधों को लगाया जाता है| हमेशा क्यारियां जमीन से 15 से 20 सेंटीमीटर उठी हुई बनाई जाती हैं और क्यारियों की लम्बाई पूर्णतया ग्रीनहाउस के डिजाइन पर निर्भर करती है, लेकिन यह ध्यान रखा जाता है कि ग्रीनहाउस में उपलब्ध स्थान का अधिकतम उपयोग फसल उत्पादन के लिये होना चाहिये|
ग्रीनहाउस में टमाटर की बेमौसमी फसल की कटाई-छंटाई व सहारा देना
पौधों को रोपाई के 20 से 25 दिन बाद क्यारियों के ऊपर लगभग 8 फीट की ऊँचाई पर क्यारियों की लम्बाई के समानान्तर लगे ओवरहेड तारों के साथ बंधी हुई रस्सियों के साथ लपेटा जाता है और साथ ही साथ पौधों में एक मुख्य शाखा छोड़कर समस्त अन्य शाखाओं को कटाई-छंटाई करके हटा दिया जाता है| कटाई-छंटाई की यह प्रक्रिया लगातार लगभग 15 से 25 दिन के अन्तराल पर आवश्यकतानुसार की जाती है|
यह ध्यान रखा जाता है, कि मुख्य शाखा पर आने वाले फूलों के गुच्छों को कटाई-छंटाई या पौधों को लपेटने के दौरान कोई नुकसान न पहुँचे और जब पौधे ओवरहेड तारों की ऊँचाई तक बढ़ जाते हैं तो उन्हें प्रत्येक कटाई-छंटाई के समय 1 से 2 फीट नीचे उतार दिया जाता है तथा इस प्रकार पौधे क्यारियों के चारों और ही एक प्रक्रिया के अनुसार स्थापित किये जाते हैं|
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ग्रीनहाउस में टमाटर की बेमौसमी खेती के लिए परागण
टमाटर एक स्वपरागित फसल होने के बाद भी ग्रीनहाउस में इसे सहायक परागण की आवश्यकता पड़ती है| इसका मुख्य कारण ग्रीनहाउस में हवा का बहाव नहीं होने के कारण परागकोष से परागकण नहीं निकलते है| इसलिए ग्रीनहाउस में या तो ब्राईब्रेटरर्स या एयर ब्लोवर्स का उपयोग कर परागण के कार्य में सहायता की जाती है| लेकिन इजराइल या कई अन्य पश्चिमी देशों में ग्रीनहाउस टमाटर की फसल में बम्बल मक्खियों को उपयोग में लाया जाता है, जो ग्रीनहाउस टमाटर उत्पादन के लिये सबसे सक्षम परागणकर्ता हैं|
लेकिन भारत में अधिक गति से हवा फेंकने वाले यन्त्र को सुबह के समय गर्मी के मौसम में 8 से 9 बजे तक और सर्दी के मौसम में 9 से 10 बजे तक मध्यम गति पर चलाकर परागण करने के सबसे अच्छे परिणाम मिलें हैं| इस प्रकार के यन्त्र बिजली चालित या बैटरी चालित दोनों प्रकार के होते हैं और एक व्यक्ति 1000 वर्ग मीटर के ग्रीनहाउस में लगभग एक से डेढ़ घन्टे में पूरा परागण का कार्य कर सकता है|
ग्रीनहाउस में टमाटर की बेमौसमी खेती के लिए सिंचाई व उर्वरक
आमतौर पर फसल को खाद, उर्वरक व पानी देना, भूमि के प्रकार, मौसम एवं फसल की अवस्था पर निर्भर करता है| वैसे फसल को लगातार एक अंतराल पर पानी दिया जाता है और उसके साथ ही पूर्णतया पानी में घुलनशील उर्वरकों का घोल जो आमतौर पर नत्रजन, फास्फोरस तथा पोटाश को 5:3:5 अनुपात में मिलाकर विभिन्न अवस्थाओं पर विभिन्न मात्रा में दिया जाता है| रोपाई से फूल आने तक 4.0 से 5.0 घन मीटर पानी प्रति एक हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में एक बार में दिया जाता है|
गर्मी के मौसम में सप्ताह में तीन बार और सर्दी के मौसम में सप्ताह में दो बार सिंचाई की जाती है| इसके साथ ही सिंचाई जल में उपरोक्त घोल की 1.0 लीटर मात्रा प्रति एक घन मीटर पानी मिलाकर दी जाती है| फूल से फल लगने तक पानी की मात्रा 5.0 से 6.0 घन मीटर और उर्वरकों का घोल 2.0 से 2.5 लीटर प्रति घन मीटर प्रति 1000 वर्ग मीटर की दर से सिंचाई जल के साथ ड्रिप प्रणाली के द्वारा दिया जाता है| फल स्थापन से पूर्ण फल विकास अवस्था तक 5.0 से 6.0 घन मीटर पानी ही दिया जाना चाहिये|
फल पकने से तोड़ने तक पानी पुनः 5.5 से 6.0 घन मीटर और उर्वरकों के घोल की 2.5 से 3.0 लीटर मात्रा प्रति एक घन मीटर पानी में मिलाकर हो जाती है| आमतौर पर गर्मी के मौसम में फर्टीगेशन 3 से 4 दिन के अन्तराल पर और सर्दी में 2 से 3 दिन के अन्तराल पर किया जाता है| आमतौर पर फर्टीगेशन उस क्षेत्र विशेष के मौसम, भूमि के प्रकार तथा फसल अवस्था पर निर्भर करता है|
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ग्रीनहाउस में टमाटर की बेमौसमी फसल में उर्वरकों का घोल एवं फर्टीगेशन
1000 लीटर क्षमता की टंकी में स्टाक घोल बनाने के लिये यूरिया, फास्फेट, 17:44:50 की प्रति 100 किलोग्राम मात्रा और यूरिया की मात्रा को पहले पानी में घोला जाता है| पहले टंकी में 200 से 300 लीटर पानी भरकर उसमें इन उर्वरकों को डाला जाता है और फिर इन्हें डण्डे या बांस से अच्छी प्रकार घोलकर टंकी को पूरा पानी से भरकर पुनः इसे घोलकर बनाया जाता है| उपरोक्त प्रथम दोनों उर्वरक शत प्रतिशत पानी में घुलनशील हैं| इस प्रकार इस स्टाक घोल से फसल की रोपाई के बाद प्रारम्भिक अवस्था में 1.0 लीटर मात्रा को 1000 लीटर या एक घन मीटर सिंचाई जल की मात्रा में घोलकर ड्रिप सिंचाई प्रणाली द्वारा दिया जाता है, जिसे फर्टीगेशन कहते हैं|
इसके बाद इस घोल की मात्रा 2.0 से 2.5 लीटर और जब फसल पूर्णतयाः फलन में हो तो 3.0 से 3.5 लीटर मात्रा प्रति घन मीटर पानी में घोलकर फसल में दी जाती है| सामान्यतया गर्मी के मौसम में सिंचाई एक सप्ताह में तीन बार लेकिन फर्टीगेशन दो बार किया जाता है| सर्दी के मौसम में सिंचाई तथा फर्टीगेशन दोनों सप्ताह में दो बार किया जाता है| लेकिन सिंचाई तथा फर्टीगेशन की अवधि व मात्रा पूर्णतया मौसम, फसल, किस्म, भूमि के प्रकार और फसल उगाने के तरीके पर भी निर्भर करती है|
द्वितीयक तत्वों और सूक्ष्म तत्वों को आवश्यकता अनुसार ही फसल में दिया जाता है| लेकिन ध्यान रहे कभी भी कैल्शियम एवं सल्फेट रखने वाले उर्वरकों को एक साथ एक टंकी में नहीं घोला जाता है| इन्हें अलग से बाल्टी या अन्य यंत्र इत्यादि में घोलकर सीधे फर्टीगेशन में दिया जाना चाहिये|
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ग्रीनहाउस में टमाटर की बेमौसमी खेती के लिए पादप संरक्षण
आमतौर पर ग्रीनहाउस टमाटर में किसी प्रकार के कीटों एवं रोगों का प्रकोप नहीं होता है| लेकिन कभी-कभी विषाणु रोगों का यदि कुछ पौधों पर प्रकोप हो तो उन्हें अविलम्ब उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिये नही तो यह कटाई व छंटाई यन्त्रों के साथ दूसरे पौधों पर फैल सकता है| इसकी रोकथाम के लिए यह भी आवश्यक है, कि जो श्रमिक ग्रीनहाउस मे रोजना कार्य करते हैं वे किसी प्रकार के तम्बाकू आदि का प्रयोग ग्रीनहाउस के अन्दर न करें और हाथों को साबुन से धोकर ही कार्य करें| प्रत्येक दिन कटाई-छंटाई में प्रयोग होने वाले यन्त्रों को भी रोगाणुरहित किया जाना चाहिये| ऐसे श्रमिक ग्रीनहाउस में कार्य करने के बाद ही खुले खेतों में कार्य करें|
ग्रीनहाउस में टमाटर की बेमौसमी फसल के फलों की तुड़ाई और ग्रेडिंग
बड़े आकार की किस्मों के फलों को आमतौर पर नाकू के साथ ही तोड़ा जाता है| तुड़ाई कैंची या तेज धार वाले चाकू से की जानी चाहिये, जिससे टमाटर के पौधों तथा अन्य फलों को नुकसान न हो| फलों को पूर्ण रूप से पकने की लाल रंग अवस्था की पर ही तोड़ा जाता है और तुड़ाई के बाद रंग आकार व भार के अनुसार ग्रेडिंग करके उच्च बाजार में बेचा जाता है|
यदि फलों को एक या दो दिन बाद बेचना है, तो उन्हें गर्मी में 8 से 10 सेंटीग्रेट तापमान पर रखा जाता है| सर्दी में उन्हें सामान्य कमरे के तापमान पर भी रखा जा सकता है| आमतौर पर एक अच्छे वातावरण नियंत्रित ग्रीनहाउस से 10 से 15 टन टमाटर की पैदावार प्रति 1000 वर्ग मीटर के ग्रीनहाउस से प्राप्त की जा सकती है|
लेकिन पैदावार पूर्ण रूप से जलवायु, किस्म, व फसल प्रबन्धन पर निर्भर रहती है| चेरी टमाटर से 2.0 से 3.0 टन तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है| इस प्रकार ग्रीनहाउस में उत्पादित टमाटर क्योंकि उच्च गुणवत्ता वाला होता है इसलिए उत्पादकों को इसे बड़े शहरों के उच्च बाजार में बेचकर अधिक फायदा कमाना चाहिये| यह तकनीक बड़े शहरों के चारों और खेती करने वाले किसानों के लिये काफी हद तक लाभदायक व टिकाऊ हो सकती है|
ग्रीनहाउस में टमाटर की बेमौसमी खेती से फल पैदावार
1000 वर्ग मीटर ग्रीनहाउस से लगभग 10 से 15 टन टमाटर 9 से 10 महीने की अवधि वाली फसल से प्राप्त किया जा सकता है, जबकि चेरी टमाटर की उपज 2 से 3 टन प्रति 1000 वर्ग मीटर रहती है|
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