चूहों से खेती को कैसे बचाएं, विश्व के सभी स्थानों पर चूहे पाये जाते हैं जो सभी प्रकार की भोजन सामग्री, फसलों, बागों ओर गोदामों में भण्डारित खाद्य पदार्थों को क्षति पहुंचाने के साथ साथ विभिन्न रोग फैलाने वाले मनुष्य जाति के बहुत बड़े शत्रु हैं| इनका प्रजनन बड़ी तेजी से होता है, इसलिए इनसे पूरी तरह से छुटकारा पाना काफी कठिन है|
इनमें सूंघने की अद्भुत क्षमता है तथा इस कारण यह अपने लिए अपनी पसन्द के पदार्थ खोज ही लेता है| इनके नियंत्रण के लिए विशेष उपाय अपनाने पड़ते हैं और साथ ही मिलजुल कर इनसे छुटकारा पाने का अभियान भी चलाना पड़ता है|
चूहों की प्रजातियां
भारत में आमतौर पर अनाज और बागवानी फसलों को नष्ट करने वाले चूहों की प्रजातियां इस प्रकार है, जैसे-
1. बैन्डीकोटा बैंगालैन्सिस (इण्डियन मोल रैट)
2. रैटस मैलटाडा (मुलायम बालों वाला खेतों का चूहा)
3. मस मसक्लस (घरों का आम चूहा)
4. मस बिओडूगा (फिल्ड माऊस)
5. मस प्लेटीथिक्स (भूरा कांटेदार चूहा)
6. गोलुन्डा इलिओटी (इण्डियन बुश रैट)
7. रैटस रैटस (घरों का सामान्य चूहा)
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चूहों पर नियंत्रण
यंत्रों द्वारा नियंत्रण
पिंजरे या चूहेदानी (वंडर ट्रैप्स और स्प्रिंग वाले लकड़ी के ट्रैप्स) का प्रयोग खेतों, बागीचों, गोदामों और अन्य भण्डारण स्थानों में किया जा सकता है| खेती या खेतों में पिंजरों को 10 मीटर की दूरी पर रखें| यदि लकड़ी के पिंजरे हों तो दो पिंजरों को मिला कर रखें, एवं विपरीत दिशा में उनके द्वार खोलें|
गोदामों में एक पिंजरा प्रति 4 घन मीटर, दीवार के साथ भण्डारण किये गये बक्सों के पीछे कोनो में और अन्धेरी जगहों पर रखें| पिंजरे में प्रलोभन (प्री-बेट) देने के लिए उपयुक्त चारा लगायें| बाजरा, दला गेहूं या चावल आदि में थोड़ा खाने का तेल तथा चीनी मिलाकर पिंजरे में लगाने के लिए भोजन तैयार किया जाता है| ऐसे पिंजरों को भोजन के साथ कम से कम एक स्थान पर दो दिन तक रखें| पिंजरे का दरवाजा खुला रखा जाना चाहिए|
लकड़ी के पिंजरों में चूहों को फंसाने के लिए तली रोटी के टुकड़े दरवाजे पर रखने चाहिए एवं यह भी ध्यान रखें कि उनका दरवाजा बंद न हो, चारे का प्रलोभन देने के बाद पिंजरे अच्छी तरह रख दें और तीन दिन तक चूहे पकड़े, पिंजरे में फसे चूहों को पानी में डुबो कर मारें, एक महीने बाद फिर से चूहे पकड़ने के लिए प्रक्रिया को दौबारा दोराहें|
रासायनिक नियंत्रण (विष द्वारा)
जिंक फॉस्फाइड बेट- एक किलोग्राम दले गेहूं या बाजरा या चावल, इनके मिश्रण को 20 ग्राम मूंगफली के तेल में 25 ग्राम जिंक फॉस्फाइड के साथ अच्छी तरह मिलायें|
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विशेष सावधानियां
1. जिंक फॉस्फाइड में कभी भी पानी न मिलायें|
2. विष को खुले स्थान पर दस्ताने पहन कर या लकड़ी के डंडे या चम्मच से मिलाकर बनायें, नंगे हाथों से विष को न छुयें|
3. यदि यह विष कहीं हाथ या शरीर के सम्पर्क में आए तो अच्छी तरह साबुन से उस जगह को धो लें|
4. यदि किसी दुर्घटनावश इसे कोई खा ले तो गले में उंगलियां डालकर उल्टी करवाएं व शीघ्रता से चिकित्सक की सहायता लेकर उपचार करें|
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बेट का प्रयोग
चूहों से छुटकारा पाने के लिए विष का प्रयोग फरवरी से मार्च तथा अक्तूबर से नवम्बर में खेतों, फल बागीचों एवं पौधशालाओं में करें| सांयकाल चूहों के बिलों को हल्की मिट्टी से बन्द कर दें और दूसरे दिन सुबह खुले हुए बिलों में 8 से 10 ग्राम जिंक फॉस्फाइड बेट या 15 ग्राम ब्रोमेडायोलोन विष कागज के टुकड़े पर 8 से 12 इंच गहराई पर बिल में रखें|
जिंक फॉस्फाइड जहर प्रयोग में लाने से दो दिन पहले तक चूहों को ललचाने के लिए केवल खाद्य पदार्थ ही रखें| क्यारियों व आसपास के स्थान से खरपतवार, झाड़ियों और घास को हटा दें| यदि मेढे या खेत में डंगे आदि में चूहों का अधिक प्रकोप हो तो उन्हें गिराकर फिर से बनाएं|
एकीकृत चूहा नियंत्रण
अभी तक कोई भी एक विधि चूहों पर शत प्रतिशत नियंत्रण पाने में प्रभावी नहीं हो सकी है, क्योंकि ये एक स्थान से दूसरे स्थान पर आते जाते रहते हैं| इसलिए चूहा नियंत्रण कार्यक्रम को एक योजनाबद्ध व संयुक्त अभियान के रूप में अपनायें| पूरे क्षेत्र में एक ही समय पर उचित कदम उठाकर सभी चूहों का विनाश करें|
पंचायतों, अन्य संगठनों और संस्थाओं की सहायता से न केवल बागीचों, पौधशालाओं या क्यारियों में विनाश करें, बल्कि पास के जंगलों व घासनियों और पानी की नालियों आदि में भी चूहे विनाश का अभियान संयुक्त रूप से चलायें, साल भर लगातार चूहे पकड़ने का कार्य जारी रखें, आसपास की झाड़ियों और बड़ी घास आदि, को समय-समय पर कटवाते रहें एवं ऊपर दी गई चूहा मार दवाओं का चूहों को मारने के लिए प्रयोग करें|
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