डिजिटल भारत (Digital India) कार्यक्रम को डिजिटल सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने का एक कार्यक्रम है| यह कार्यक्रम प्रकृति में परिवर्तनकारी है और यह सुनिश्चित करेगा कि सरकारी सेवाएं नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध हों| यह इलेक्ट्रॉनिक रूप से सरकार की सेवाओं के अनिवार्य वितरण, प्रामाणिक और मानक आधारित इंटरऑपरेबल और एकीकृत सरकारी अनुप्रयोगों और डेटा आधार पर आधारित एक विशिष्ट आईडी और ई-प्रमान के माध्यम से सार्वजनिक जवाबदेही भी लाएगा| यह कार्यक्रम चालू वर्ष से लागू किया जाएगा| इस लेख में डिजिटल इंडिया योजना का उल्लेख किया गया है|
यह भी पढ़ें- प्रधानमंत्री रोजगार योजना: पात्रता, आवेदन, लाभ, विशेषताएं
डिजिटल इंडिया दृष्टि क्षेत्र
दृष्टि तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है, जैसे-
1. प्रत्येक नागरिक के लिए उपयोगिता के रूप में डिजिटल अवसंरचना
2. मांग पर शासन और सेवाएं
3. नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण|
प्रत्येक नागरिक के लिए उपयोगिता के रूप में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर:
1. नागरिकों को सेवाएं प्रदान करने के लिए मुख्य उपयोगिता के रूप में हाई स्पीड इंटरनेट की उपलब्धता|
2. हर नागरिक के लिए अद्वितीय, आजीवन, ऑनलाइन और प्रमाणिक डिजिटल पहचान का पालना|
3. मोबाइल फोन और बैंक खाता डिजिटल और वित्तीय क्षेत्र में नागरिकों की भागीदारी को सक्षम बनाता है|
4. कॉमन सर्विस सेंटर तक आसान पहुंच|
5. सार्वजनिक क्लाउड पर साझा करने योग्य निजी स्थान|
6. सुरक्षित और सुरक्षित साइबर-स्पेस|
मांग पर शासन और सेवाएं:
1. विभागों या अधिकार क्षेत्र में निर्बाध रूप से एकीकृत|
2. ऑनलाइन और मोबाइल प्लेटफॉर्म से वास्तविक समय में सेवाओं की उपलब्धता|
3. आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सभी नागरिक अधिकार क्लाउड पर उपलब्ध होंगे|
4. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार के लिए सरकारी सेवाओं को डिजिटल रूप से रूपांतरित किया गया है|
5. वित्तीय लेनदेन को एक सीमा से ऊपर, इलेक्ट्रॉनिक और कैशलेस बनाना|
6. निर्णय समर्थन प्रणालियों और विकास के लिए जीआईएस का लाभ उठाना|
नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण:
1. यूनिवर्सल डिजिटल साक्षरता|
2. सभी डिजिटल संसाधन सार्वभौमिक रूप से सुलभ हैं|
3. सभी सरकारी दस्तावेज/प्रमाण पत्र क्लाउड पर उपलब्ध होंगे|
4. भारतीय भाषाओं में डिजिटल संसाधनों/सेवाओं की उपलब्धता|
5. सहभागी शासन के लिए सहयोगी डिजिटल प्लेटफॉर्म|
6. क्लाउड के माध्यम से व्यक्तियों के लिए सभी पात्रताओं की सुवाह्यता|
डिजिटल इंडिया का दायरा
इस कार्यक्रम का समग्र दायरा है, जैसे-
1. भारत को एक ज्ञान भविष्य के लिए तैयार करना|
2. परिवर्तनकारी होने पर यानी आईटी (भारतीय प्रतिभा) + आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) = आईटी (इंडिया टुमारो) को महसूस करना|
3. परिवर्तन को सक्षम करने के लिए प्रौद्योगिकी को केंद्रीय बनाना।
4. अम्ब्रेला प्रोग्राम होने पर – कई विभागों को कवर करते हुए, जैसे-
अ) कार्यक्रम बड़ी संख्या में विचारों और विचारों को एक एकल, व्यापक दृष्टि में बुनता है, ताकि उनमें से प्रत्येक को एक बड़े लक्ष्य के हिस्से के रूप में देखा जा सके| प्रत्येक व्यक्तिगत तत्व अपने आप खड़ा होता है, लेकिन यह बड़ी तस्वीर का भी हिस्सा है|
ब) एक साथ बुनाई मिशन को समग्र रूप से परिवर्तनकारी बनाती है|
5. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम कई मौजूदा योजनाओं को एक साथ लाएगा जिन्हें पुनर्गठित और पुन: केंद्रित किया जाएगा और एक सिंक्रनाइज़ तरीके से कार्यान्वित किया जाएगा| डिजिटल इंडिया के रूप में कार्यक्रमों की सामान्य ब्रांडिंग, उनके परिवर्तनकारी प्रभाव को उजागर करती है|
यह भी पढ़ें- कौशल विकास योजना: पात्रता, आवेदन, लाभ और विशेषताएं
डिजिटल इंडिया के दस स्तंभ
कार्यक्रम का लक्ष्य विकास क्षेत्रों के दस स्तंभों को आवश्यक बल प्रदान करना है, जैसे-
1. ब्रॉडबैंड हाईवे
2. मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए सार्वभौमिक पहुंच
3. सार्वजनिक इंटरनेट एक्सेस कार्यक्रम
4. ई-गवर्नेंस: प्रौद्योगिकी के माध्यम से सरकार में सुधार
5. ई-क्रांति – सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी
6. सभी के लिए सूचना
7. इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण
8. नौकरियों के लिए आईटी
9. प्रारंभिक फसल कार्यक्रम
10. संबंधित संसाधन|
यह भी पढ़ें- किसान विकास पत्र: पात्रता, विशेषताएं, ब्याज दरें और रिटर्न
महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ
डिजिटल भुगतान: एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) की शुरुआत ने देश के हर हिस्से में डिजिटल भुगतान के लाभों की शुरुआत की, जैसे-
1. भुगतान और लेनदेन के मामले में UPI समृद्ध व्यवसायियों से लेकर मामूली रेहड़ी-पटरी वालों तक सभी की मदद कर रहा है|
2. यह कई निजी अभिकर्ताओं को डिजिटल भुगतान का विकल्प प्रदान करने के लिये प्रोत्साहित करता है जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बदल दिया है|
व्यवसायों के संचालन को आसान बनाना: इलेक्ट्रॉनिक ग्राहक पहचान प्रणाली (e-KYC), इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ भंडारण प्रणाली (DigiLocker) और इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर प्रणाली (eSign) व्यवसायों व उनके संचालन को सुव्यवस्थित करने में मदद के लिये पेश किया गया था|
जैम ट्रिनिटी से परे: सिस्टम में खामियों को दूर करने हेतु जन धन, आधार और मोबाइल ट्रिनिटी को एक सरल कदम के रूप में शुरू किया गया|
यह भी पढ़ें- स्वच्छ भारत अभियान: उद्देश्य, लाभ, निबंध और चुनौतियां
कार्यक्रम की आगे की राह
1. इसके सफल कार्यान्वयन के रास्ते में कई प्रकार की बाधाएँ हैं, जैसे- डिजिटल निरक्षरता, खराब बुनियादी ढाँचा, इंटरनेट की धीमी गति, विभिन्न विभागों के मध्य समन्वय की कमी, कराधान से संबंधित मुद्दे आदि| कार्यक्रम की पूरी क्षमता का उपयोग करने हेतु इन चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है|
2. चूँकि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने छह वर्ष पूरे कर लिये हैं इसलिये यहाँ छह ठोस रणनीतिक कदम दिये जा रहे हैं जो भारत की सफलता की कहानी में योगदान देने तथा पाँच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के सपने को पूरा करने हेतु डिजिटल 4.0 के लिये नए डिजिटल राष्ट्र के निर्माण में सहायता कर सकते हैं, जैसे-
1. वैज्ञानिक सोच का समावेश, जहाँ धारणा/सोच नीति को संचालित नहीं करती है|
2. डेटा तक पहुँच और उपकरणों की कम लागत, विशेष रूप से स्मार्टफोन|
3. उच्च गति प्रौद्योगिकी और निर्बाध कनेक्टिविटी (5G, 6G)|
4. गुणवत्ता और स्थानीय भाषा सामग्री|
5. निवारण, लोकपाल, शिकायत निवारण अधिकारियों हेतु निश्चित स्थानों के साथ एक सुरक्षित साइबरस्पेस|
6. अक्षय ऊर्जा, बिजली की निर्बाध आपूर्ति, हरित प्रौद्योगिकी और अधिक-से-अधिक सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाना तथा अधिक-से-अधिक विभागों को एक-दूसरे से जोड़ना|
3. यह कार्यक्रम एक सशक्त तकनीकी समाधान है जो वर्षों से बुनियादी ढाँचे के निर्माण में सहायक रहा है और आज यह स्टार्ट-अप, डिजिटल शिक्षा, निर्बाध बैंकिंग एवं भुगतान समाधान, एग्रीटेक, स्वास्थ्य तकनीक, स्मार्ट सिटीज़, शासन तथा खुदरा प्रबंधन जैसे अन्य उभरते क्षेत्रों के आधार के रूप में कार्य कर रहा है|
यह भी पढ़ें- मेक इन इंडिया: मूल्यांकन, सकारात्मकता, लाभ और उद्देश्य
भविष्य के लिये रणनीति
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के पूर्व अध्यक्ष नंदन नीलेकणी ने हाल ही में कहा कि आने वाले वर्षों में भारत सरकार डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के लिये मुख्य फोकस क्षेत्र ‘ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस’ एवं ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ होना चाहिये, जैसे-
1. आने वाले वर्षों में भारत को ‘ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस’ के लिये प्रौद्योगिकी को प्रमुखता देने और उद्यमों को सरकारी सेवाओं में न्यूनतम मानव इंटरफेस के साथ फलने-फूलने की अनुमति देनी चाहिये|
2. इस इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत कर संग्रह में सुधार लाने, कृषि एवं चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में कृत्रिम प्रौद्योगिकी (Artificial Technology) के निर्माण पर भी जोर दिया जाना चाहिये|
डिजिटल इंडिया निष्कर्ष
इस इंडिया कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि समय आ गया है कि ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ को राष्ट्रीय स्तर पर बड़े पैमाने में लागू किया जाए ताकि इससे भारत के समावेशी विकास में तकनीकी की अहम् भूमिका को परिभाषित किया जा सके और वैश्विक स्तर पर भारतीय अर्थव्यवस्था की आर्थिक वृद्धि को गति दी जा सके|
यह भी पढ़ें- ग्रामीण उजाला योजना: प्रयास, लाभ, कार्यान्वयन और महत्त्व
अगर आपको यह लेख पसंद आया है, तो कृपया वीडियो ट्यूटोरियल के लिए हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें| आप हमारे साथ Twitter और Facebook के द्वारा भी जुड़ सकते हैं|
Leave a Reply