नैनो प्रौद्योगिकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी की एक नई दिशा है, जिसकी आधुनिक कृषि के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है| इसके माध्यम से उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है, परन्तु कृषि में इसका उपयोग अभी सीमित ही है| किसानों के लिए यदि यह प्रौद्योगिकी लाभप्रद हो सके तो यह कृषि की दशा और दिशा बदलने में महत्वपूर्ण कदम होगा| नैनो प्रौद्योगिकी द्वारा यदि रासायसिक खादों को तैयार किया जाये, तो खाद की गुणवत्ता और उपयोगिता दोनों बढ़ जायेंगी, जिसके फलस्वरुप खेती के लिए कम मात्रा में खाद की आवश्यकता होगी|
भविष्य में खाद्य प्रणाली, खाद्य और फल संरक्षण एवं वातारण को प्रदूषण से मुक्त कराने में इस प्रौद्योगिकी का उपयोग करना हमारी अनिवार्यता हो जायेगी| भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा कृषि में नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए शोध कार्यों की शुरुआत की जा चुकी है| देश के विभिन्न शोध संस्थानों तथा राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग समन्वय स्थापित कर काम कर रहा है|
नैनो प्रौद्योगिकी एक ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ बामन प्रौद्योगिकी है| एक नैनो मीटर एक मीटर का एक बिलियनवां भाग होता है| यह एक बहुद्देशीय और बहुविभागीय विषय है, जिसमें वैज्ञानिक, चिकित्सक और अभियन्ता एक साथ मिलकर कार्य कर सकते हैं| नैनो कण वह होते हैं, जिनका आकार एक तरफ कम से कम 100 नैनो मीटर से कम होता है| नैनो कण तीन आकार के होते हैं| एक नैनों कण के गुण आकार के अनुसार परिवर्तित होते रहते हैं, जो रासायनिक, यान्त्रिक, विद्युत एवं चुम्बकीय प्रभावों से प्रभावित होते हैं|
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नैनो प्रौद्योगिकी का उपयोग
1. पौधों में संतुलित पोषक तत्वों की आपूर्ति का कार्य करता है|
2. खरपतवारों के नियंत्रण में प्रभावी भूमिका निभाता है|
3. बीजों के अंकुरण में उपयोगी कार्य करता है|
4. मिट्टी स्वास्थ्य सुधार में उपयोगी है|
5. रासायनिक और कार्बनिक उर्वरकों की उपयोग क्षमता को बढ़ाता है|
6. पानी का विषैलापन दूर करने और पुनः उपयोग में लाने हेतु इसका उपयोग किया जा सकता है|
7. खाद्य प्रसंस्करण में महत्वपूर्ण योगदान है|
8. जल प्रबंधन में उपयोगी भूमिका अदा करता है|
9. नैनो सेंसर द्वारा परिशुद्धता खेती में मिट्टी, उर्वरक एवं पानी के संतुलित उपयोग में सहायक हो सकता है|
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रासायनिक खादो और उर्वरकों के उपयोग से फसलों का उत्पादन 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ जाता है, क्योंकि इसके माध्यम से संतुलित पोषक तत्वों को उपलब्ध कराया जाता है| पिछले अनेक दशकों से संतुलित खाद और उर्वरकों का उपयोग किसानों द्वारा नहीं किया जा रहा जिस कारण पौधों की उपज, उत्पादकता और मिट्टी स्वास्थ्य प्रभावित हो रहे हैं| इसके सुधार में यह प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण विकल्प है|
हमारे देश में यह प्रोद्योगिकी का उपयोग उर्वरकों में सूक्ष्म पोषक तत्वों को मुख्य पोषक तत्वों के साथ मिला कर मिश्रण तैयार किया जा रहा है, जिसका मुख्य आधार यूरिया है| फॉस्फोरस की उपयोगिता बढ़ाने के लिए जियोलाइट मिलाया जा रहा है| कार्बन नैनो ट्यूब का उपयोग बीजों के अंकुरण में किया जा रहा है| नैनो सेंसर द्वारा मिट्टी की जाँच से पोषक तत्वों की कमी या अधिकता को ज्ञात किया जा सकता है| भविष्य में इस प्रौद्योगिकी का बहुतायत में उपयोग खाद्यान्न प्रबंधन एवं उर्वरक उपयोग में किया जायेगा|
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