बटन खुम्ब (मशरूम) की व्यावसायिक उत्पादन फार्म संरचना कैसे होती है, भाग- 2 में आप भाग- 1 से आगे की जानकारी प्राप्त करेंगे, भाग- 1 में बटन मशरूम की व्यावसायिक उत्पादन फार्म संरचना में आप जान चुके है, की बटन खुम्ब (मशरूम) उत्पादन की खाद इकाई और उसकी उप इकाइयों आउटडोर खाद प्लेटफार्म बंकर, पास्चुरीकरण कक्ष, केसिंग पास्चुरीकरण कक्ष की प्रक्रिया क्या है, अब बाकि बटन खुम्ब की व्यावसायिक उत्पादन फार्म संरचना इस प्रकार है|
बीज इकाई
एक संपूर्ण बीज प्रयोगशाला कक्ष के लिए कम से कम 18 लम्बाई x 9 चौड़ाई x 3.6 उंचाई मीटर जगह होनी चाहिए| इस प्रयोगशाला को विभिन्न कार्य-क्षेत्रे में बांटा गया है, जैसे- ऑटोक्लेब कक्ष, निवेशन कक्ष, ताप नियंत्रित कक्ष (तापरोधी और वातानुकुलित), सफाई कक्ष, भंडार, कार्यालय तथा एक शीतल (ठंडा) कक्ष बीज के भंडारण के लिए|
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उत्पादन इकाई कक्ष
बटन खुम्ब (मशरूम) फसल उत्पादन कक्ष दरअसल वायुरोधी कक्ष होते हैं, जिसमें हवा का संचालन आवश्यकता के अनुसार किया जा सकता है| ये उत्पादन कक्ष तापरोधी भी होते हैं, और इनका माप कम्पोस्ट की मात्र पर निर्भर करता है, लम्बे और पतले कमरे इस प्रकार के उत्पादन कक्षों में अच्छे परिणाम देते है, क्योंकि इनमें हवा का संचार अच्छी तरह से हो पाता है, एक अच्छा उत्पादन कक्ष वह होता है|
जिसकी क्षमता बल्क पास्चुरीकरण कक्ष के बराबर होती है और एक पास्चुरीकरण कक्ष की कम्पोस्ट एक साथ उत्पान कक्ष में भरी जाती है| इसलिए एक बल्क पास्चुरीकरण कक्ष और उत्पादन कक्ष की क्षमता साधारणत 20 से 25 टन होनी चाहिए| इस क्षमता के उत्पादन कक्ष का आकार संसार के विभिन्न भागों में निम्नलिखित होता है, जैसे-
1. 55 x 18 x 12 फीट
2. 60 x 22 x 12 फीट
3. 35 x 25 x 13 फीट
4. 60 x 22 x 10 फीट
5. 40 x 20 x 13 फीट
उपरोक्त मापों के फसल उत्पादन कक्षों में साधरणत बहुस्तरीय ढाँचे (शेल्फ) में कम्पोस्ट भरी जाती है| अधिक या कम कम्पोस्ट भरने के लिए कम्पोस्ट की शेल्फ की गहराई में अंतर किया जा सकता है| इन उत्पादन कक्षों में कम्पोस्ट पॉलीथिन के थैलों में भी रखी जा सकती हैं और लगभग क्षमता भी बराबर ही रहती है|
फसल उत्पादन कक्ष की नींव सूखी और अच्छी जमीन पर रखी जानी चाहिए| फर्श बल्क पाश्चुरीकरण के कक्ष की तरह ही होता है और दीवार की मोटाई लगभग 9 इंच होती है व छत 4 इंच मोटी आरसीसी की बनी होती है| फसल उत्पादन कक्ष में एक तापरोधी दरवाजा और दो हवा को बाहर निकलने वाली खिड़कियाँ जमीन से थोड़ा ऊपर बनी होती है|
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दरवाजे के ऊपर एक खिड़की हवा संचार संयंत्र के लिए बनी होती है| कक्ष की दिवारें, छत और दरवाजे तापरोधी होते हैं व कक्ष पूरी तरह से वायु रोधी बनाया जाता है, ताकि तापक्रम नियंत्रित किया जा सके कक्ष को ठंडा करने व गर्म करने और वायु के संचार के दरवाजे के ऊपर लगे हवा आवागमन यंत्र का प्रयोग किया जाता है|
फसल उत्पादन कक्षों का मापदण्ड इस प्रकार होना चाहिए, जैसे-
फर्श- फसल उत्पादन कक्ष का फर्श इतना मजबूत होना चाहिए, कि लोहे के रैकों शैल्फ को संभाल सकें, फर्श में 15 से 20 सेंटीमीटर तक बालू होने चाहिए, कि उसके ऊपर कम से कम 5 सेंटीमीटर कंक्रीट का फर्श होना चाहिए| फर्श को तापरोधी अवयव 1.5 सेंटीमीटर मोटी से ढ़का जाता है| तापरोधी अवयव को ऊपर और नीचे से पीवीसी लगाई जाती है, ताकि इन्हें आर्द्रता से बचाया जा सके| इसे तापरोधी अवयव को तार की जाली से ढ़का जाता है तथा अंत में कंक्रीट का फर्श बनाया जाता है| फर्श की ढलान दरवाजे की ओर रखी जाती है और फर्श में एक नाली बनायी जाती है, ताकि पानी को बाहर निकाला जा सके|
दीवारें- कक्ष की दिवार 22.5 सेंटीमीटर, ईंट की बनी होती है, जो कि सीमेंट से प्लास्टर की जाती हैं, इस दिवार पर 5 सेंटीमीटर मोटी तापरोधी थर्मोकोल यानि पॉलिथुरीशोन को गर्म कोलतार की मदद से लगाया जाता हैं, इसके ऊपर तार खिची जाती है, जिनको कील या स्क्रू की मदद से लगाया जाता है| सबसे ऊपर सिमेंट का प्लास्टर लगाया जाता है, जिसके ऊपर आर्द्रता रोधी पेंट लगाया जाता है|
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छत- कक्ष की छत लगभग 12 से 15 सेंटीमीटर मोटी होती है, जो की आरसीसी की बनी होती है| इसके अंदर की तरफ सीमेंट का प्लास्टर होता है, जिसके ऊपर तापरोधी अवयव लगे होते हैं, और अंत में टाइल्स लगी होती है, ये छत को वर्षा से बचाती है, पहाड़ी क्षेत्रे में जहाँ ज्यादा अधिक बारिश होती हैं, वहा आरसीसी छत के ऊपर एस्बेस्टस का ढलावाँ छत लगाने से छत का बचाव होता है|
दरवाजे और खिड़कियाँ- बल्क पास्चुरीकरण कक्ष और उत्पादन कक्ष दोनों के दरवाजे लकड़ी या लोहे के सरियों पर बने होते हैं व तापरोधी अवयव से भरा जाता है| तत्पश्चात् अंदर और बाहर दोनों ओर से अलुमिनियम की शीट लगी होती है, दरवाजे में रबड़ की गैस्केट लगी होती है, जो कि दरवाजे को वायुरोधी बनाती है|
हवा बाहर निकलने के लिए बनी खिड़कियां साधारणतया दरवाजे के पिरीत दिशा में और जमीन के नजदीक बनी होती है, इसमें तार और जली लगी होती है, और तापरोधी ढक्कन लगा होता है| ये खिड़कियाँ कार्बन डाइआक्साइड गैस को बाहर निकालने के लिए बनी होती है, जो कि हवा आवागमन यंत्र के द्वारा बनाई गई धनात्मक दबाव के अंतर्गत बाहर निकल जाती है|
लाईट- उत्पादन कक्ष में ट्यूब लाईट स्त्रोत की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि कमरे का अच्छी तरह से निरीक्षण किया जा सके साथ ही ट्यूबलाइट को वाष्परोधी भी होना चाहिए| ये ट्यूब लाइटें खड़ी दिशा में और विभिन्न ऊँचाइयों पर लगी होनी चाहिए, ताकि कक्ष के सभी स्थानों पर प्रकाश की अच्छी व्यवस्था हो सके, साथ ही कक्ष में बिजली के उपकरणों को चलाने के लिए 5 से 15 एम्पीयर की विधुतीय सप्लाई होनी चाहिए|
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पानी की व्यवस्था- प्रत्येक उत्पादन कक्ष में 1 से 1.5 इंच पाइप की पानी की सप्लाई और पानी के निकास की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि कक्ष में पानी का छिड़काव और गंदे पानी का निकास किया जा सके, धनत्व वाली एचडी पॉलीथीन के बने कक्षों में पानी की पाइप फर्श के निचे से आना चाहिए| कक्षों के बीच की गली- कक्षों की कतार के बीचोबीच एक 6 मीटर चौड़ी गली होना आवश्यक है, जिससे उसका प्रयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जा सके, गली की ऊँचाई लगभग 3.9 मीटर होनी चाहिए, ऊपर की 1.5 मीटर जगह वायु आवागमन यंत्र के लिए छोड़ी जानी चाहिए|
जलवायु व्यवस्था- मौसमी उत्पादन के लिए ऊपरलिखित सभी कारकों का नियंत्रण बाहरी जलवायु से सम्बन्धित करके किया जाता है| पहाड़ी क्षेत्रे में बटन खुम्ब की 2 से 3 फसल मौसम तौर पर कक्ष की जलवायु में थोड़ा बहुत बदलाव करके ली जा सकती है| परन्तु पूरे वर्ष अच्छी फसल लेने के लिए जलवायु का सही नियंत्रण अवश्यक है| पहाड़ी क्षेत्रे के पास के मैदानी क्षेत्रे में भी के मौसम में बटन खुम्ब (मशरूम) मौसमी उत्पादन अच्छी फसल दे सकती है, जबकि ऊष्णकटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रे लिए वातनुकूलन और जलवायु नियंत्रण आवश्यक है|
नियंत्रित वातावरण उत्पादन कक्ष- नियंत्रित जलवायु वाले कक्षों में जलवायु की व्यवस्था ऐसे क्षेत्रे जहाँ की जलवायु बटन खुम्ब उत्पादन के लिए ठीक नहीं है, वहा पर फसल उत्पादन के लिए आवश्यक कारक को नियंत्रित करना आवश्यक है| नियंत्रित जलवायु के फसल उत्पादन कक्षों को बनाने के लिए कक्षों को पूर्णतया तपरोधी होना, एक आधाभूत आवश्यकता है| हवा के आवागमन को वायु संचार यंत्र द्वारा आवश्यकतानुसार नियंत्रित किया जाता है|
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इन वायु आवागमन यंत्रों में गर्म करने, ठंडे करने और आर्द्रता के लिए उपकरण लगे होते हैं, व एक उपकेन्द्रीय पंखा भी लगा होता है| जिसके द्वारा कक्ष के अन्दर हवा का संचार किया जाता है|पंखे द्वारा कक्ष के अन्दर हवा का संचार किया जाता है, पंखे द्वारा कक्ष में कम से कम 50 मिलीमीटर पानी की सतह के बराबर का दबाव पैदा होना चाहिए और यंत्र में प्रशीतन के लिए प्रशीतन जल 5 से 8 डिग्री सेल्सियस, जो प्रशीतक कमरे में बनाया जाता है, का प्रयोग किया जाता है|
इस संयंत्र में एक आर्द्रता कक्ष होता है, जिसमें पानी के फुहारों की मदद से 100 प्रतिशत आर्द्रता पैदा की जाती है| ठंडी हवा को उस कक्ष से होते हुए उत्पादन कक्ष में भेजा जाता है| जिसमें कक्ष का तापक्रम और आर्द्रता दोनों ही नियंत्रित होते हैं, हवा की गति उत्पादन कक्ष में 15 सेंटीमीटर प्रति सेकेंड के आसपास नियंत्रित की जाती है, जिससे कम्पोस्ट से पानी का नियंत्रित वाष्पीकरण हो सकें, हवा की धीमी गति के कारण कम्पोस्ट से कार्बन-डाईऑक्साइड और उष्मा दोनों ही निकल जाते हैं|
जो हवा के साथ कक्ष से बाहर निकल जाते हैं, और उत्पादन कक्ष में शुद्ध हवा की मात्रा प्रथम फलन के दौरान 30 प्रतिशत, द्वितीय व उसके बाद के फलनों के दौरान 20 प्रतिशत रखी जाती है| शुद्ध हवा और कमरे की हवा की मात्र का नियंत्रण वायु संचार यंत्र में लगे डैम्पर की मदद से किया जाता है| उत्पादन कक्ष को गर्म करने के लिए वायु आवागमन यंत्र में वाष्प की पाईप की व्यवस्था होती है, जो कक्ष में आवश्यक ताप और आर्द्रता दोनों ही नियंत्रित करती है|
हवा के सही संचार के लिए पूरे कक्ष में पाइप लगी होती है और उनमें छिद्र बने होते हैं| ये पाइप पूरे कक्ष में हवा की धीमी गति को नियंत्रित करते हैं और पानी के लगातार वाष्पीकरण के द्वारा ताप व कार्बन-डाईऑक्साइड की सांद्रता को भी नियंत्रण में रखते हैं| पानी का ये वाष्पीकरण कम्पोस्ट से खाद्य पदार्थों का अवशोषण और उसका ऊपर की तरफ संचार भी बढ़ाता है|
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पश्च फसल संसाधन इकाई
डिब्बाबन्द इकाई की रूपरेखा- यद्यपि उपकरणों को स्थापित करने हेतु स्थाननुसार आवश्यक न्यूनतम संशोधन किये जा सकते हैं| एफपीओ के अनुसार डिब्बाबन्द इकाई का निर्मित क्षेत्र 100 मीटर और ऊचाई 14 फुट से कम नहीं होने चाहिए| व्यापरिक डिब्बाबन्द इकाई की स्थापना से पूर्व कुछ महत्वपूर्ण कारकों का ध्यान रखना आवश्यक है, जैसे- लागत, स्थान, भवन, जल, आपूर्ति, मजदूर और संसाधन उद्योग मंत्रालय द्वारा एफपीओ लाइसेंस आदि| डिब्बाबंद इकाई की स्थापना के लिए मुख्यत भूमि, भवन निर्माण और उपकरणों पर लागत आती हैं, व इकाई सफलतापूर्वक चलाने हेतु कच्चे माल, मजदूर, संसाधन भण्डारण, परिवहन और व्यापारिकरण पर भी व्यय होता है|
स्थान का चयन- इकाई की स्थापना किसी बड़े बटन खुम्ब फार्म के हिस्से में या एक स्वतंत्र खाद्य संस्करण इकाई के रूप में भी की जा सकती है, उचित परिवहन सुविधा के लिए इकाई की स्थापना के लिए स्थान का चयन सड़क के पास होना चाहिए एवं स्वच्छ वातावरण और अनउपचारित जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए| इकाई प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों और धुएं वाली चिमनियों से दूर होना चाहिए, जिससे उत्पाद की गुणवत्ता पर प्रभाव न पड़े, इकाई में भरपूर मात्र में जल आपूर्ति और विद्युत आपूर्ति होनी आवश्यक है|
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डिब्बाबन्द इकाई भवन निर्माण- एक से दो टन प्रतिदिन की उत्पादन क्षमता वाले डिब्बाबंद इकाई की सामान्य रूपरेखा और उपकरणों की श्रृंखलाबद्ध स्थापना दी गई है| डिब्बाबंद इकाई के हाल का फर्श ढलानदार होना चाहिए लगभग 1/4 इंच प्रति फुट, जिससे हाल से जल निकासी आसीन से हो सके| सभी दरवाजे और खिडकियाँ पतली जाली द्वारा ढ़की हुई होनी चाहिये, जिससे की मक्यियां व कीड़े-मकोड़ो का प्रवेश रोका जा सके, मुख्य प्रवेश द्वार में दोहरी व्यवस्था होनी चाहिए ताकि कीड़े व मक्खियां अन्दर प्रवेश न कर सकें|
आवश्यक उपकरण और यंत्र- बटन खुम्ब के डिब्बा बन्द इकाई में उपयोगी यंत्रों और उपकरणों का क्रमानुसार विवरण निम्नलिखित है, जैसे-
लिड़-ऐम्बोसिंग मशीन- इस मशीन का उपयोग डिब्बों पर आवश्यक सूचना, जैसे- कि उत्पादन की तिथि, एक्सपायरी तिथि, मूल्य और मात्रा आदि छापने हेतू किया जाता है, यह पैरों से चलने वाले पैडलस के द्वारा संचालित होती है|
कैन रिफोर्मर- यह एक साधारण सा यंत्र है, जो बटन खुम्ब डिब्बों को उनका गोल आकार देता है, इस यंत्र में चपटे डिब्बों को रबर के रोलर पर रखकर एक दूसरे घुमते हुए स्टील के रोलर के साथ दबाया जाता है, जिसके कारण डिब्बों का आकार गोल होता है|
कैन फ्लैंगर- यह साधारण हस्तचलित मशीन है, जो केन रिफमर के बाद उपयोग में लाई जाती है, इसका उपयोग बटन खुम्ब डिब्बों को दोनों तरफ से अच्छी तरह से बन्द करने के लिए किया जाता है, जिससे डिब्बों से रिसाब न हो|
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फ्लैंग रैक्टीफायर- यह भी साधारण हस्तचलित उपकरण है, जिसका उपयोग बटन खुम्ब डिब्बों के बिगडे हुए किनारों को सही आकार देने में किया जाता है, इसमें डिब्बों को एक सांचे में रखकर हैंडल से दबाकर सही कर दिया जाता है|
डबल समीर- यह एक अर्धस्वचलित उपकरण है, जो बटन खुम्ब डिब्बों की सीमिंग प्रक्रिया के लिए अत्यंत उपयोगी है|
स्टीम जैकेट कैटल- यह उच्चस्तरीय स्टील का पात्र होता है, जो लोहे के स्टैंड पर स्थित होता है, जिसे आसानी से हिलाया जा सकता है, वाष्प के अधिक से अधिक उपयोग के लिये स्टील का पात्र नीचे से दोहरे जैकेट वाला होता है, पात्र तथा जैकेट दोनों ही उच्चस्तरीय स्टील के बने होते हैं| इस यंत्र का उपयोग खुम्ब को गर्म करने तथा ब्लाचिंग के लिए होता है|
एक्जास्ट बॉक्स- यह विद्युतचलित मशीन है, जिसका उपयोग बटन खुम्ब डिब्बों को कीटाणु और जीवाणु रहित करने में होता है, इसके लिये गर्म भाप का उपयोग किया जाता है| इस यंत्र में विद्युत चलित कनवेयर होता है, जिस पर खुम्ब से भरे डिब्बे रखे जाते हैं, और यह धीमी गति से चलता है, बटन खुम्ब से भरे डिब्बे से दो मिनट के लिये भाप के संपर्क में आते है और भाप की गर्मी से डिब्बे कीटाणु रहित हो जाते है|
कैनिंग रिटोर्ट- इस यंत्र का उपयोग बटन खुम्ब को डिब्बों में बन्द करने के पश्चात्, दवाब के द्वारा कीटाणुरहित करने से होता है, इसमें दबाव मापक यंत्र और सुरक्षा बाल्व लगा होता है| बटन खुम्ब के डिब्बों को खराब होने से बचाने के लिये और लम्बे समय तक भण्डारण के लिये दबाव 15 पीएसआई पर 45 मिनट के लिये जीवाणु रहित किया जाता है|
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