वर्तमान में विश्व में बटन मशरूम का उत्पादन मुद्रा अर्जन का सर्वश्रेठ साधन और एक अत्यन्त महत्वपूर्ण अद्यौगिक फसल है| बटन मशरूम (खुम्ब) न केवल बहुत ही पौष्टिक खाद्य पदार्थ है, अपितु खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा इसको स्वास्थ्यवर्धक प्रोटीन पोषण के रुप में अनुमोदिक किया गया है|
मशरूम उत्पादन का महत्व न केवल कृषि उत्पादन के प्रयोग में है, साथ साथ इसके लिए भूमि की आवश्यकता नहीं होती है एवं इसका उत्पादन एक नियंत्रित वातावरण में किया जाता है| इसके अलवा मशरूम उत्पादन में जगह का प्रयोग उर्ध्वाधर दिशा में किया जाता है|
बटन मशरूम (खुम्ब) उत्पादन के लिए कृषि योग्य भूमि की आवश्यकता नहीं पड़ती है| इसके लिए बंजर भूमि का प्रयोग खाद बनाने, बीज बनाने, मशरूम उत्पादन और पश्च फसल उत्पाद के लिए प्रयोग किया जा सकता है| भारत में मौसमी बटन मशरूम उत्पादन सर्दी के मौसम में जब तापमान कम रहता है, किया जाता है, और पूरे वर्ष भर व्यावसायिक तौर पर कृत्रिम नियंत्रित वातावरण कक्षों में किया जाता हैं, इन दोनों ही तरह के उत्पादन के लिए उत्पादन सुविधाओं की आवश्यकता होती है|
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आवश्यक इकाईयाँ
बटन मशरूम इकाई की संरचना (बनावट) में प्रमुख रूप से खाद, बीज बनाने, फसल उत्पादन और पश्च फसल तकनीक में प्रयुक्त संरचनाओं को जमीन के एक टुकड़े पर इस तरह से बनाया जाता है, ताकि बटन मशरूम (खुम्ब) की अधिक से अधिक फसल प्राप्त की जा सके| अतः ये संरचनाएँ विशेषताएँ विशेषज्ञ की देखरेख में तैयार की जानी चाहिए| श्वेत बटन मशरूम (ऐगैरिक्स बाईस्पोरस और बाईटॉकिंस) खास तौर पर भूसे व कम्पोस्ट तैयार खाद पर उगायी जाती है| जबकि ढिंगरी, दूधिया और पुआल मशरूम (खुम्ब) को सीधे भूसे के पुआल पर उगाया जाता है| बटन मशरूम उत्पादन के चार चरण होते हैं, जैसे-
1. खाद बनाना
2. बीज बनाना
3. फसल उत्पादन
4. पश्च फसल संसाधन
उपरोक्त चरणों को पूर्ण करने हेतु निम्नलिखित इकाईयों की जरूरत होती है, जैसे-
खाद इकाई- खाद इकाई में निम्नलिखित सुविधाएँ शामिल होती हैं, जैसे-
1. आउटडोर खाद प्लेटफार्म बंकर
2. पास्चुरीकरण कक्ष
3. केसिंग पास्चुरीकरण कक्ष
बीज इकाई- बीज इकाई में निम्नलिखित सुविधाएँ शामिल होती हैं, जैसे-
1. बीज प्रयोगशाला
2. अन्य कक्ष (कमरा)
फसल उत्पादन इकाई- बटन मशरूम फसल उत्पादन इकाई में निम्नलिखित सुविधाएँ शामिल होती हैं, जैसे-
1. मौसमी बटन मशरूम उत्पादन कक्ष
2. नियंत्रित जलवायु बटन मशरूम उत्पादन कक्ष
3. जलवायु नियंत्रक, वातानुकूलन, वायु संवाहक
4. अन्य सहायक इकाई
पश्च फसल संसाधन इकाई- पश्च फसलइकाई में निम्नलिखित सुविधाएँ शामिल होती हैं, जैसे-
1. प्रशीतक कमरा
2. डिब्बा बंदी कमरा
3. पैकिंग कमरा
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खाद इकाई और विधियां
बटन मशरूम (खुम्ब) उत्पादन के लिए खाद दो विधियाँ, लम्बी और छोटी विधि द्वारा बनाई जाती है| खाद बनाने की लंबी विधि में कम लागत लगती है, साथ ही साथ इसमें पास्चुरीकरण की प्रक्रिया भी नहीं होती है| इस विधि में खाद कम्पोस्टिंग यार्ड में ईट और सिमेंट के फर्स पर बनाई जाती है| परंतु छोटी विधि द्वारा खाद बनाने की प्रक्रिया में पुरी तरह से ढका हुआ कम्पोस्टिंग यार्ड सिमेंट का फर्श और गुड्डी पीट की आवश्यकता प्रथम अवस्था में पड़ती है| इस विधि की द्वितीय अवस्था में तापरोधी अल्कि पाश्चुरीकरण कमरे की आवश्यकता होती है|
जिसमें खाद को उच्च तापमान 57 से 59 डिग्री सेल्सियस पर पाश्चुरीकरण किया जाता है| इसके बाद खाद की कंडिशनिंग 45 से 48 डिग्री सेल्सियस पर की जाती है| अतः पास्चुरीकरण कमरे की दीवार, दरवाजे और छत को सही प्रकार से तापरोधी होना चाहिए| नियंत्रित जलवायु के फसल उत्पादन कक्षों को भी तापरोधी होना चाहिए, ताकि बाहरी जलवायु का कमरे के वातावरण पर कोई असर ना पड़े|
हालांकि मौसमी उत्पादन कक्षो का तापरोधी होना आवश्यक नहीं है| ये केवल ईट के दीवार फर्श और छत की बनी हो सकती है तथा इसमें एक फसल उपयुक्त मौसम में ली जा सकती है| इस तरह के कक्षो में हवा के आवागमन के साधारण तरीके से कार्बनडाइऑक्साइड को हटाया जा सकता है|
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वातानुकूलित उत्पादन कक्षो में हवा के आवागमन के लिए एयर हैंडलिंग युनिट कमरे के बाहर लगायी जाती है, जिससे कमरे को गर्म और ठंडा किया जा सकता है| साथ साथ हवा का संचालन भी किया जा सकता है| बटन मशरूम उत्पादन इकाई की सहायक इकाई के रूप में बीज एवं डिब्बाबंदी इकाई भी बनायी जानी आवश्यक है| बटन मशरूम खाद इकाई में आने वाली सहायक इकाईयों का विस्तुत विवरण इस प्रकार है, जैसे-
कम्पोस्टिंग यार्ड-
कम्पोस्टिंग यार्ड की आवश्यकता खाद बनाने की प्रथम अवस्था में होती है और इसका ऊपर से ढका होना आवश्यक है, ताकि वर्षा और धूप से खाद बनाने की प्रक्रिया पर किसी प्रकार का असर न पड़े| छत की ऊँचाई भी ज्यादा होनी चाहिए, ताकि कम्पोस्टिंग के दौरान पैदा होने वाली गैस आसानी से निकल सके, कम्पोस्टिंग कक्ष की फर्श सीमेंट की बनी होनी चाहिए और फर्श में छिद्रयुक्त पाइप जो ब्लोअर से जुड़े होते हैं, लगे होने चाहिए ताकि खाद में नीचे से हवा का आवागमन हो सके, फर्श का झुकाव एक सेंटीमीटर प्रति मीटर गुड्डी पिट के तरफ होनी चाहिए, ताकि अधिक पानी गुड्डी पिट में जा सके और उसे दुबारा खाद में डाला जा सके|
कम्पोस्टिंग यार्ड की छत कम से कम 20 फीट ऊँची होनी चाहिए और चारो तरफ से खुली होनी चाहिए यानि ज्यादा तापमान वाले क्षेत्रो में 3 मीटर ऊँची दीवार से घिरा होना चाहिए| गुड्डी पिट यार्ड को कोने में बनाना चाहिए और इसमें एक पम्प भी लगा होना चाहिए, ताकि पानी का वापिस खाद में छिडकाव किया जा सकें|
एक अनुमान के अनुसार एक टन कम्पोस्ट की ढेरी लगभग एक मीटर लंबी और 1.5 मीटर चौड़ी होती है| इसके साथ साथ ढेरी के दोनों ओर मशीनों के साथ काम करने की जगह भी होनी चाहिए| अतः 10 से 15 मीटर चौड़ाई की दो कम्पोस्ट की ढेरियों को एक साथ बनाने और कार्य करने के लिए काफी होती है|
अनुमानित 25 टन क्षमता के लिए दो पास्चुरीकरण कक्षों से खाद बनाने के लिए कम्पेस्टिंग यार्ड के 35 मीटर लम्बा और 15 मीटर चौड़ा होना आवश्यक है| लम्बी विधि द्वारा खाद बनाने के लिए यार्ड की फर्श ईटो से बनी हो सकती है और छत एचडी पॉलीथीन शीट को लोहे के पाइपों पर लगाकर बनाया जा सकता है, कम्पेस्टिंग यार्ड में 2 से 3 ईंच की पानी की पाइप स्थायी रूप से लगी होनी चाहिए और फसल के अवशेष (भूसा) भिंगोने के लिए एक 3 से 4 ईंच की पाइप भी होनी चाहिए|
कम्पोस्टिंग यार्ड में 3 फेज 15 एम्पीयर के बिजली के कनेक्शन होने चाहिए, ताकि विभिन्न किस्मों के मशीनों जैसे- कम्पोस्ट टर्निग मशीन फिलिंग लाइन और स्पनिंग मशीन आदि को चलाया जा सके, इसके अलावा कम्पोस्टिंग यार्ड में बिजली की टयूबें और सर्चलाइट लगी होनी चाहिए, ताकि कम्पोस्टिंग का कार्य रात्रि के समय भी किया जा सके, कम्पोस्टिंग यार्ड में एक पानी की टंकी भी लगी होनी चाहिए पानी की व्यवस्था आवश्यक है|
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पास्चूरीकरण व्यवस्था-
बल्क पास्चुरीकरण कक्ष और पीक हीटिंग कक्ष कम्पोस्ट बनाने की दूसरी फेज में पास्चुरीकरण तथा कंडिशनिंग के लिए इस्तेमाल होते है| इस कक्ष को तापरोधी बनाया जाता है, ताकि बाहर के वातावरण का कोई भी असर कक्ष के अंदर के वातावरण पर न पड़े और कक्ष के अन्दर एक खास वातावरण तैयार किया जा सके, पास्चुरीकरण व्यवस्था में निम्नलिखित प्रकार के कक्षों का निर्माण किया जाता है, जैसे-
पीक हीटिंग कक्ष- पीक हीटिंग कक्ष एक प्रकार का तापरोधी कक्ष होता है, जिसमें वाष्प हवा और हवा के संचार की सुविधा होती है, बर्हिखाद निर्माण के पश्चात् खाद को ट्रे में भरकर इस कक्ष में पास्चुरीकरण और कडिशनिंग के लिए रखा जाता है| आमतौर पर यह अवस्था कम कम्पोस्ट के लिए प्रयोग की जाती है| परंतु इसी व्यवस्था में कुछ बदलाव करके उत्पादन कक्ष में ही बर्हिकम्पोस्ट को रैक में भरकर पास्चुरीकरण, बीजाई, कवक जाल फैलाव और फलन सभी एक ही कमरे में कर लिया जाता है|
इस प्रक्रिया से जगह और पैसे दोनों की बचत होती है| इस व्यवस्था के लिए एक ही कमरे में सभी प्रक्रियाओं की व्यवस्था होनी चाहिए| आमतौर पर इस व्यवस्था में शुरूआती खर्च ज्यादा आता है और यह व्यवस्था पहले से चल रहे कोल्ड स्टोरेज में जगह के बेहतर इस्तेमाल के लिए अच्छी है|
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पास्चुरीकरण कक्ष- यह पीक हीटिंग कक्ष का ही एक रूपांतरण है, जिसमें कम्पोस्ट की ज्यादा मात्रा को अच्छी तरह से पास्चुरीकृत किया जा सकता है, इस प्रक्रिया को डबल जोन सिस्टम’ कहा जाता है| इस प्रक्रिया में बर्हिखाद को सीधे ही कक्ष में भर दिया जाता है और पास्चुरीकृत एवं कंडिशन किया जाता है| इस कक्ष में कम्पोस्ट एक लोह या लकड़ी के जालयुक्त फर्श के ऊपर भरी जाती है और इस फर्श के नीचे से वाष्प व हवा के ज्यादा दबाव से कम्पोस्ट से आर-पार कराई जाती है|
बल्क पास्चुरीकरण कक्ष का एक द्वार कम्पोस्टिंग यार्ड में और दूसरा द्वार बीजाई क्षेत्र में खुलता है| बल्क पास्चुरीकरण कक्ष की नींव कम से कम 1.5 से 2 फीट गहरी होनी चाहिए और नीचे से ढालू 15 से 20 सेंटीमीटर तत्पश्चात टूटी हुई ईट 10 सेंटीमीटर और अंत में कंक्रिट फर्श होना चाहिए| कक्ष को तापरोधी बनाने के लिए 5 सेंटीमीटर थर्मोकोल 15 किलोग्राम प्रति मीटर 3 घनत्व का इस्तेमाल किया जा सकता है एवं इसे 5 सेंटीमीटर मोटी सीमेंट से ढका जा सकता है, इस तरह की दिवारें और फर्श पाश्चुरीकरण कक्ष व उत्पादन कक्ष दोनों में प्रयोग की जा सकती है|
दीवार की मोटाई कम से कम 9 इंच होनी चाहिए| पास्चुरीकरण कक्ष की लंबाई और चौड़ाई उसके क्षमता के अनुसार हो सकती है, लेकिन ऊँचाई 3.9 मीटर होनी चाहिए| पास्चुरीकरण कक्ष की फर्श ढालू होनी चाहिए, ताकि उसमें पानी इकट्ठा न हो सके और कक्ष से हवा बाहर नहीं जानी चाहिए| फर्श के ऊपर एक छिद्रयुक्त फर्श और होता है एवं इसमें 25 से 30 प्रतिशत क्षेत्रफल इन छिद्रों का होना चाहिए, ताकि हवा का आवागमन आसानी से हो सके| यह छिद्रयुक्त फर्श लकड़ी का बना हो सकता है, जिस पर पेंट लगा होना चाहिए|
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इन पास्चुरीकरण कक्षों का द्वार कम्पोस्ट भरने और निकालने के लिए नायलोन की जाली का प्रयोग किया जाना चाहिए| इस कक्ष का द्वार लोहे के एंगल या लकड़ी का बना हो सकता है, जो कि तापरोधी अवयव से भरा होना चाहिए और दोनों ओर एलुमिनयिम शिट लगी होनी चाहिए| इस कक्ष में दो बड़े छिद्र होते हैं, जिसमें एक वातावरण की हवा अंदर आने के लिए होता है और दूसरा गैसों को बाहर निकालने के लिए होता है|
साफ हवा को अंदर लाने के स्थान पर 2 से 3 माइक्रोन का फिल्टर लगा होना चाहिए, ताकि परजीवी कवको के बीजाणु अन्दर न आ सके, साफ हवा के लिए कक्ष के छत पर डैम्पर लगे होते हैं| जो की हवा के वातावरण के लिए लगे पाइप से जुड़े होते हैं, इस कक्ष में हवा को दबाव से कक्ष में फेंकने के लिए उपकेन्द्रीय पंखे ब्लोअर लगे होते हैं, जो कि वातावरण के लिए लगे पाइप से जुड़े रहते हैं एवं जब भी साफ हवा की आवश्यकता होती है, तो साफ हवा के डैम्पर खोलकर हवा दी जा सकती है|
इन पंखों की माप बल्क पास्चुरीकरण कक्ष के माप पर निर्भर करता है, 20 से 25 टन की क्षमता वाले बल्क पास्चुरीकरण कक्ष में हवा का दबाव 100 से 110 मिलीमीटर बनाने के लिए हवा के प्रवेश पर एक उपकेन्द्रीय पंखा लगा होता है| जो कि 5 से 7.5 हार्सपावर के एक मोटर से संचालित होता है| हवा के इसी प्रवेश स्थान पर वाष्प की पाइप भी लगी होती है, जो कि पास्चुरीकरण कक्षा में आवश्यक तापक्रम को बनाए रखने में प्रयोग होती है| छत और दीवारों पर वाष्परोधी पेंट लगा होता है, ताकि इसका निच्छारण न हो सकें|
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बटन मशरूम उत्पादन बल्क पास्चुरीकरण कक्ष दो प्रकार का होता है पहला जिसमें एक द्वार होता है एवं काम्पोस्ट को अदर डालना और निकालना उसी द्वारा किया जाता है व दूसरा जिसमें दो द्वार होते हैं, जिसमें एक द्वार से कम्पोस्ट भरी जाती है, जो कम्पोस्ट यार्ड की तरफ होता है और दूसरा जिसमें कम्पोस्ट निकाली जाती है, बीजाई क्षेत्र में खुलता है|
पास्चुरीकरण कक्ष को भरने और खाली करने के लिए कन्वेयर का प्रयोग किया जा सकता है, जिससे श्रम व समय की बचत होती है, इस तरह की मशीन द्वारा कक्ष को भरने और खाली करने के लिए दो नायलोन की जालियों का प्रयोग किया जाता है, एक छिद्रयुक्त फर्श पर लगी होती है और दूसरी उसके ऊपर घिसकने वाली होती है|
गर्म जलवायु वाले क्षेत्र में कम्पोस्ट ठंडा करने के लिए पास्चुरीकरण कक्ष में आवश्यक व्यवस्था जरूरी होती है| इसके लिए पास्चुरीकरण कक्ष में कूलिंग व्यवस्था होती है और इसे चारों ओर से तापरोधी बनाया जाता है| यह कूलिंग व्यवस्था या तो कक्ष के बाहर लगाई जाती है या यह उपकेन्द्रीय पंखे के साथ कक्ष के फर्श के नीचे लगाई जाती है|
केसिंग मिट्ठी पास्चुरीकरण कक्ष- यह एक तापरोधी कक्ष होता हैं, जिसमें वाष्प और एक उपकेन्द्रीय पंखे की सहायता से इच्छित तापक्रम को नियंत्रित किया जाता है और केसिंग मिट्टी को पास्चुरीकृत कक्ष की क्षमता पर निर्भर करती है, यानि एक केसिंग मिट्टी पास्चुरीकरण कक्ष की क्षमता इतनी होनी चाहिए, कि एक बार बनी कम्पोस्ट के लिए केसिंग मिट्टी को पास्चुरीकृत किया जा सके|
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केसिंग मिट्टी की भिगोने के बाद इसे ट्रे में भरकर कक्ष में एक के ऊपर एक करके रखा जाता है और तापक्रम को वाष्प की सहायता से 65 डिग्री सेल्सियस पर 6 से 8 घंटों के लिए रखा जाता है| पास्चुरीकरण कक्ष की ही तरह इस कक्ष की दीवारें, छत और दरवाजे भी तापरोधी हाते है, इस कक्ष को कम्पोस्टिंग यार्ड से दूर बनाया जाता है, ताकि इनमें रोगाणुओं का संक्रमण न हो सके|
यहां तक बटन मशरूम की व्यावसायिक उत्पादन फार्म संरचना कैसे होती के तहत खाद की अनेक इकाइयों के बारे में जाना, हम अपने पाठकों को बता दें, की इस संरचना का विवरण एक लेख में संभव नही है, इसलिए आगे की जानकारी के लिए बटन मशरूम की व्यावसायिक उत्पादन फार्म संरचना भाग- 2 यहां पढ़ें- बटन मशरूम की व्यावसायिक उत्पादन फार्म संरचना भाग- 2
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