बाजरा नेपियर संकर घास वर्ष में कई कटाईयां देने वाली बहुवर्षीय चारा फसल है| बाजरा नेपियर संकर घास की जड़ों को एक बार रोपण करके उचित प्रबन्धन के द्वारा 4 से 5 वर्षों तक हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है| इस घास से बाजरे जैसा पौष्टिक और रसीला चारा प्राप्त होता है, साथ ही साथ यह सुपाचक तथा गुणवत्तापूर्ण होता है|
अपने इन्हीं गुणों के कारण यह बाजरा नेपियर संकर घास किसानों के बीच काफी लोकप्रिय होती जा रही है| कम तापमान वाले क्षेत्रों को छोड़कर सम्पूर्ण भारत में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है| इसके चारे में शुष्क भार के आधार पर 8 से 9 प्रतिशत क्रूड प्रोटीन पाई जाती है| इस लेख में बाजरा नेपियर संकर घास की खेती की जानकारी का उल्लेख विस्तार से किया गया है|
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बाजरा नेपियर संकर घास की खेती के लिए भूमि और तैयारी
इस घास के लिये अच्छी उर्वरा वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है, जिसमें जल निकास का उचित प्रबन्ध हो| यह मिट्टी से काफी मात्रा में पोषकतत्व अवशोषित करती है| इस घास की रोपण के लिए एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से और उसके बाद 2 से 3 जुताईयां हैरो या कल्टीवेटर से करके भूमि तैयार कर लेनी चाहिए|
बाजरा नेपियर संकर घास की खेती के लिए खाद और उर्वरक
फसल बुवाई से पहले मिट्टी का परीक्षण करा लेना लाभदायक रहता है| आमतौर पर 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर सडी गोबर की खाद का प्रयोग रोपण से एक माह पूर्व करना चाहिए| रोपाई के समय 60 किलो ग्राम नत्रजन, 50 किलो ग्राम फास्फोरस और 40 किलो ग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें तथा 30 किलो ग्राम नत्रजन प्रति हेक्टेयर प्रत्येक कटाई के तुरन्त बाद छिडकाव करना लाभदायक रहता है|
बाजरा नेपियर संकर घास की खेती के लिए उन्नत किस्में
आई जी एफ आर आई- 3, 6, 7, 10, को- 2, 3, 4, 5, बी एन एच-10, एन बी- 21, यशवंत और ए पी बी एन- 1 आदि प्रमुख है|
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बाजरा नेपियर संकर घास की खेती के लिए रोपाई का समय
बाजरा नेपियर की सिंचित दशाओं में फरवरी माह में रोपाई और असिंचित दशाओं में जुलाई से अगस्त महीने में रोपाई लाभदायक होती है| इसकी रोपाई जड़दार कल्लों द्वारा की जाती है| रोपण हेतु जड़ युक्त कल्ले 100 X 100 सेंटीमीटर या 50 X 50 सेंटीमीटर परिस्थिति अनुसार की दूरी पर प्रयुक्त किये जाते हैं| इस तरह एक हेक्टेयर के लिए 20,000 से 30,000 टुकड़ों की आवश्यकता पड़ती है|
बाजरा नेपियर संकर घास की खेती के लिए सिंचाई प्रबंधन
बाजरा नेपियर की नम मिट्टी में रोपाई करें और रोपाई के बाद तुरंत सिंचाई करें, मार्च से अप्रैल में 15 से 18 दिन तथा गर्मी में 10 से 12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें| प्रत्येक कटाई बाद फसल में सिंचाई अवश्य करनी चाहिए|
बाजरा नेपियर संकर घास की खेती में निराई-गुड़ाई
बाजरा नेपियर की रोपाई के बाद खरपतवार रोकथाम हेतु एक से दो निराई-गुड़ाई करनी चाहिए या एट्राजीन 3 से 4 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में घोलकर रोपाई से पूर्व प्रयोग किया जा सकता है| वर्षा ऋतु में प्रथम रोपाई के समय लोबिया की अन्तर फसल से भी खरपतवार रोकथाम किया जा सकता है, साथ ही साथ गुणवत्तायुक्त अतिरिक्त हरा चारा भी प्राप्त किया जा सकता है|
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बाजरा नेपियर संकर घास की चारा की कटाई
बाजरा नेपियर संकर की पहली कटाई रोपाई के 60 दिन बाद तत्पश्चात प्रत्येक कटाई 30 से 35 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए, अधिक उपज प्राप्त करने के लिए कल्लों को जमीन से 10 से 15 सेंटीमीटर ऊपर से काटना चाहिए| वर्ष पर्यन्त इस घास से 6 से 8 कटाई आसानी से ली जा सकती है|
बाजरा नेपियर संकर घास की फसल से पैदावार
बाजरा नैपियर संकर से 6 से 8 कटाइयों में 700 से 1700 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है|
बाजरा नेपियर संकर घास की फसल से चारा पुनरूद्धार
बाजरा नेपियर की कई वर्षों तक लगातार कटाई करते रहने से घास में मृत कल्लों की संख्या बढ़ती रहती है, जिससे पौधों की परिधि तो बढ़ती है| लेकिन सजीव कल्लों की संख्या कम ही रहती है| इसलिए अधिक चारा उत्पादन के लिए कटाई के बाद वर्षा ऋतु से पहले घास के मृत ठूठों को हटा दिया जाता है तथा बाद में खेत की सिंचाई करने से नये कल्ले निकलते रहते है|
जिससे बाजरा नेपियर का अधिक हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है और इन्ही पौधों से जड़े निकालकर किसान या तो दूसरे खेत में रोपित कर सकते है या फिर इन्हें दूसरे किसानों को विक्रय भी कर सकते है| इसलिए इस घास को उगाना मतलब फायदे का सौदा रहता है|
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