मक्का की उन्नत या अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर बोने, उपयुक्त खाद देने और समय पर पौध संरक्षण उपाय अपनाने की ओर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ क्षेत्र की उपयुक्तता के अनुसार मक्का की उन्नत किस्मों का चुनाव करना चाहिये| इस लेख में मक्का की संकर एवं उन्नत किस्मों उनकी विशेषताओं और पैदावार का उल्लेख किया गया है| मक्का की खेती की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- मक्का की खेती कैसे करे
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मक्का की उन्नत किस्में
क्यू पी एम- एच क्यू पी एम- 1 और 5 (सम्पूर्ण भारत हेतु अनुमोदित) विवेक क्यू पी एम- 7, शक्तिमान- 1, 2 और 4 पूर्वी क्षेत्रों हेतु) तथा शक्ति- 1 आदि|
पॉपकार्न- वी एल पॉपकार्न, अम्बर, पर्ल और जवाहर आदि|
बेबीकार्न- एच एम- 4 और वी एल बेबीकार्न आदि|
मिट्ठी मक्का- माधुरी, विनऑरेंज और एच एस सी- 1 (संकर) आदि|
चारे हेतु- अफ्रीकन टाल, जे- 1006 और प्रताप चरी- 6 आदि|
अनुमोदित किस्में
मक्का की उन्नत अनुमोदित किस्में, जैसे- प्रभात, नवज्योति, पूसा कम्पोजिट- 2, श्वेता सफेद, नवीन, आजाद उत्तम, प्रगति, गौरव, कंचन, सूर्या, विवेक- 27, प्रो- 316 (4640), बायो- 9681 वाई-1402 के, प्रो- 303 (3461), केएच- 9451, केएच- 510, एम एम एच- 69, बायो- 9637, बायो- 9682, एम एम एच- 113 और एक्स- 1123 जी (3342) आदि प्रमुख है|
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मक्का की संकर किस्में
मक्का की उन्नत की संकर किस्में जैसे- गंगा- 11, गंगा सफेद- 2, डेक्कन- 101, सरताज, रेणुका (डी के एच- 9705), हिम- 123, एच क्यू पी एम- 5, दकन- 107, मालवीय संकर मक्का- 290/95, जे एच- 3459, प्रकाश और पूसा संकर- 5 आदि प्रमुख है|
किसान भाइयों की जानकारी के लिए कुछ प्रमुख संकर, उन्नत परम्परागत किस्मों का विस्तार से वर्णन निचे क्रमवार दर्शाया गया है| जो इस प्रकार है, जैसे-
मक्का की हाइब्रिड किस्मों की विशेषताएं व पैदावार
गंगा 11– इसके पौधे मजबूत भुट्टा शंकु आकार और दानों का रंग पीला होता है| यह किस्म 105 से 110 दिनों की अवधि में पक कर तैयार हो जाती है| इसकी औसत पैदावार 20 से 26 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|
गंगा सफेद 2- इसके दाने सफेद होते हैं| यह किस्म मध्य क्षेत्रों के लिये उपयुक्त है| यह किस्म 105 से 110 दिनों में पकती है तथा इसकी पैदावार 20 से 26 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|
डेक्कन 101- इसके पौधे ऊँचे, भुट्टे मध्यम आकार के और दानों का रंग पीला होता है| यह किस्म 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है| इसकी पैदावार 24 से 26 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|
सरताज- यह संकर प्रजाति की किस्म है| इसके पौधे मध्यम लम्बाई व पत्ते हरे से गहरे हरे रंग के होते हैं| इसका तना मोटा एवं भुट्टे मध्य में लगते हैं, जो बहुत कठोर होते हैं| यह किस्म खेतों में बैक्टीरिया द्वारा सड़न बिमारी के लिए सहनशील है और यह पत्तों के झुलसा रोग के प्रति साधारण प्रतिरोधी है| यह किस्म नमी की कमी को सहन कर सकती है इसलिए कम वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म है| यह किस्म पशुओं के चारे के लिए भी उपयुक्त है, क्योंकि कटाई के समय इसका तना हरा ही होता है| इसकी उपज 17 से 20 क्विंटल प्रति एकड़ के लगभग हैं|
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डी के एच- 9705- यह एक अधिक पैदावार देने वाली जिवाणुज प्रतिरोधि वर्ण संकर किस्म है| यह किस्म मध्यम लम्बाई वाली और भुटे भी मध्य से ऊपर लगते हैं| पत्ते चौड़े व गहरे हरे होते हैं| भुट्टे लम्बे, पतले होते हैं जिनके ऊपर पूरा छिलका चढ़ा होता है| यह पत्तों के झुलसा रोग के प्रति भी प्रतिरोधी है| यह 91 से 94 दिनों में तैयार हो जाती है और 23 से 25 क्विंटल प्रति एकड़ के लगभग पैदावार देती है|
हिम 123- सिंचित एवं उपजाऊ भूमियों के लिए उपयुक्त किस्म है| यह वर्ण संकर किस्म है| इसकी उपज 15 से 17 क्विंटल प्रति एकड़ के लगभग है|
एच क्यू पी एम 5- यह किस्म 105 से 110 दिन में पक जाती है, इसकी पैदावार 20 से 23 क्विंटल प्रति एकड़ के लगभग है|
दकन 107- यह किस्म 90 से 95 दिन में पक जाती है, इसकी पैदावार 16 से 18 क्विंटल प्रति एकड़ के लगभग है|
मालवीय संकर मक्का 290/95- यह किस्म 105 से 110 दिन में पक जाती है, इसकी पैदावार 20 से 23 क्विंटल प्रति एकड़ के लगभग है|
जे एच 3459- यह किस्म 80 से 85 दिन में पक जाती है, इसकी पैदावार 14 से 16 क्विंटल प्रति एकड़ के लगभग है|
प्रकाश और पूसा संकर 5- यह किस्में 80 से 85 दिन में पक जाती है, इसकी पैदावार 14 से 17 क्विंटल प्रति एकड़ के लगभग है|
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मक्का की उन्नत किस्मों की विशेषताएं व पैदावार
पूसा कम्पोजिट 1- यह मक्का की जल्दी पकने वाली किस्म है, जो 80 से 85 दिनों में पक जाती है| इसका दाना चपटा होता है और इसकी औसत पैदावार 12 से 14 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|
पूसा कम्पोजिट 11- यह 90 से 95 दिनों में पककर तैयार हो जाती है| इसका दाना एवं आकार चपटा होता है| इसका उत्पादन 14 से 16 क्विंटल प्रति एकड़ होता है|
नवजोत- इसके भुट्टे मध्यम आकार के तथा दानों का रंग नारंगी होता है| इसके दाने चपटे आकार के होते है| देसी किस्मो की तुलना में यह अधिक बीमारी रोधक जाति है| यह किस्म 90 से 95 दिनों में पकती है और इसका औसत उत्पादन 14 से 16 क्विंटल प्रति एकड़ होता है|
चंदन मक्का 3- इसके पौधे मजबूत और इसकी पत्तियों का रंग काला होता है| यह 100 से 105 दिनों में पक जाती है| इसकी औसत पैदावार 24 से 26 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|
सूर्या और जवाहर मक्का – मक्का की ये किस्में 90 से 95 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है और इनकी औसत पैदावार 14 से 16 क्विंटल प्रति एकड़ होती है| इनका दाना पीला तथा आकार में कुछ चपटा होता है|
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गिरिजा कम्पोजिट (एल- 118)- मक्का की इस किस्म को देश के निचले व मध्यवर्ती और अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों की उन भूमियों में जहां पानी का निकास न होता हो, के लिए अनुमोदित किया गया है| यह समय पर तैयार होने वाली व अधिक पैदावार देने वाली किस्म है| इसके पौधे मध्यम लम्बाई, तना मोटा, पत्ते गहरे हरे व सीधे होते हैं और गिरते नहीं है| इस किस्म में पौधे पर दो भुट्टे लगते हैं, जिनमें ऊपर कसा हुआ छिलका होता है| इसके दाने हल्के नारंगी रंग के व कठोर होते हैं| यह किस्म 110 दिनों में तैयार हो जाती है और पैदावार 16 क्विंटल प्रति एकड़ के लगभग है|
अल कम्पोजिट- मक्का की इस किस्म पौधे मध्यम लम्बाई के एवं मोटे तने के होते हैं| इसमें भुट्टे पौधे के बीच में लगते हैं इसलिए तोड़ने में सुविधा रहती है तथा पौधे गिरते भी नहीं हैं| यह किस्म कम उपजाऊ भूमि और असिंचित क्षेत्रों में भी अच्छी पैदावार देती है| इसके दाने हल्के नारंगी रंग के एवं कठोर और आटा रोटी के लिए बहुत अच्छे है| यह किस्म 105 से 110 दिनों में तैयार हो जाती है और पैदावार 12 से 15 क्विंटल प्रति एकड़ के लगभग है|
पार्वती- मक्का की इस किस्म के पौधे मध्यम लम्बाई के एवं भुट्टे पौधे के बीच में थोड़ा ऊपर व पौधे में प्राय: दो भुट्टे लगते हैं| इसके दाने नारंगी-पीले रंग के व कठोर हैं, इसके आटे की रोटी बहुत स्वादिष्ट बनती है| यह किस्म 110 से 115 दिनों में तैयार हो जाती है और पैदावार 14 क्विंटल प्रति एकड़ के लगभग है|
नवीन कम्पोजिट- यह जल्दी तैयार होने वाली मध्यम लम्बाई तथा मोटे, पीले व कठोर दानों वाली किस्म है| जल्दी तैयार होने के कारण यह मक्का-तोरिया-गेहूं वाले फसल चक्र के लिए उपयुक्त है| इसकी उपज 14 क्विंटल प्रति एकड़ के लगभग है|
पॉप कार्न- यह मक्का की विशेष किस्म है एवं भूनने के लिए उपयुक्त है| यह किस्म काफी महंगी बिकती है| इसमें पत्तों के झुलसा रोग का प्रकोप भी कम है| यह 100 से 105 दिनों में तैयार हो जाती है और इसकी पैदावार 8 से 10 क्विंटल प्रति एकड़ के लगभग है|
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