रबी फसलों में सिंचाई की आवश्यकता, पौधों की उचित वृद्धि और विकास के लिए कृत्रिम विधि से पानी देना ही सिंचाई कहलाता है| जैसा कि हम जानते हैं, कि मानव, पशुओं तथा पौधों के जीवन के लिए पानी बहुत महत्वपुर्ण होता है और पानी के बिना धरती पर जीवन की कल्पना भी नामुमकिन है| जल पौधों की समस्त क्रियाओं और वृद्धि के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी हैं|
इसलिए कृषि उत्पादन बढाने के लिए फसलों को समय पर पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध कराना अति आवश्यक है| फसल विभिन्न प्राकृतिक स्रोतों जैसे- वर्षा, धरातल जल आदि से जल प्राप्त करती है, परन्तु वर्षा का वितरण सभी स्थानों पर तथा पूरे वर्ष समान नहीं होता है| कहीं आवश्यकता से कम बरसात होती है, तो कहीं बहुत अधिक, कभी अल्प अवधि में तो कहीं वर्ष के अधिकांश समय में बरसात होती है|
फसलोत्पादन के लिए आवश्यकता से कम और अधिक जल दोनों ही अधिक हानिकारक होते हैं| इसलिए भूमि में उचित मात्रा में नमी बनाये रखने के लिए उचित जल प्रबंधन की आवश्यकता होती है, जिससे पौधों की उचित वृद्धि और विकास हो सके| उचित जल प्रबंधन सिंचित क्षेत्रों में उतना ही महत्वपूर्ण होता है जितना कि असिंचित या बारानी क्षेत्रों में निम्नलिखित कारणों से फसलों में सिंचाई देना अति आवश्यक हो जाता है, जैसे-
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रबी फसलों में सिंचाई की स्थितियां
1. रबी फसलों में सिंचाई बोने से पहले पलेवा के रूप में|
2. सिंचाई अच्छी वृद्धि और जमाव प्राप्त करने के लिए|
3. एक साल में दो या अधिक फसलें उगाने के लिए|
4. रबी फसलों में सिंचाई उनके महत्व को समझते हुए उगाने हेतु|
5. फसलों में सिंचाई वर्षा का समय पर ना होना या कम होना|
6. रबी फसलों में सिंचाई उर्वरक देने के लिए|
7. सिंचाई अधिक तापमान और पाले से बचाने के लिए|
8. फसलों में खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई-गुडाई करने के लिए|
9. समय पर कृषि कार्य करने के लिए|
10. लवणीय और क्षारीय मृदाओं में लवणों का निक्षालन करने के लिए|
11. फसल की गुणवता और पैदावार बढ़ाने के लिए|
12. रबी फसलों में सिंचाई उनसे अधिक आय प्राप्त करने के लिए|
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रबी फसलों में अधिक सिंचाई के नुकसान
आवश्यकता से अधिक सिंचाई से फसलों पर होने वाले हानिकारक प्रभाव इस प्रकार है, जैसे-
1. सिंचाई अधिक करने से मृदा वायु संचार में कमी होना|
2. पौषक तत्व उद्ग्रहण में अनियमितता होना|
3. पौधों के जड़ तंत्र पर विपरीत प्रभाव पड़ना|
4. कुछ पौषक तत्वों जैसे लौहा और मैंगनीज की अधिकता से पौधों पर विषैला प्रभाव होना|
5. मृदा उर्वरता में कमी होना|
6. मृदा अपरदन की समस्या|
7. हानिकारक गैसों का उत्पादन|
8. मृदा जल स्तर में वृद्धि|
9. जल भराव की समस्या|
10. लाभदायक सूक्ष्मजीव की संख्या में कमी|
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रबी फसलों में संतुलित सिंचाई की इकाइयां
उपरोक्त सभी बिंदुओं का सारांश यही है, कि किस प्रकार उचित जल प्रबंध करके प्रति इकाई जल से अधिक से अधिक उत्पादन और आय प्राप्त करें| फसलों में सिंचाई उचित जल प्रबंध के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है, जैसे-
1. सिंचाई कब की जाये,
2. सिंचाई कितनी की जाये,
3. सिंचाई कैसे की जाये|
रबी फसलों में निर्भरता के प्रमुख कारक
उपरोक्त बातें निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है, जैसे-
1. क्षेत्र की जलवायुवीय दशा,
2. मृदा का प्रकार व खेत की तैयारी,
3. फसल की जल माँग,
4. जुताई की विधि, समय एवं संख्या,
5. भुमि ढलान,
6. सिंचाई की विधि,
7. पानी की कीमत, उपलब्धता व किसान की समझदारी,
8. फसल प्रकार एवं किस्म,
9. फसल की क्रांतिक अवस्थाएं|
उपरोक्त बिन्दुओं को ध्यान में रखकर किसान भाई अपनी फसलों में सिंचाई करें, क्योंकि अध्यनों पता चला है, की न तो अधिक पानी किसी भी फसल के लिए लाभकारी है और न ही कम इसलिए अपनी रबी फसलों में सिंचाई संतुलित मात्रा में करें, फसलों की संतुलित सिंचाई के लिए आप हमारे अन्य लेख पढ़ सकते है, जैसे- गेहूं की सिंचाई कैसे करें
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