कृषक बन्धु लहसुन का बीज उत्पादन स्वय कर सकते है और उसको व्यवसाय का रूप भी दे सकते है| क्यों की लहसुन एक नकदी फसल है| सौभाग्यवश लहसुन की बीज फसल की खेती भी सामान्य फसल के समान ही हैं| इसलिए कृषकों के लिए बीज उत्पादन की तकनीकी की जानकारी काफी उपयोगी सिद्ध हो सकती है|
जिसे व्यवसायिक तौर पर अपनाकर वे अपनी आय का एक प्रमुख स्रोत बना सकते हैं| इस लेख में लहसुन का बीज उत्पादन कैसे करें, वैज्ञानिक तकनीक से की जानकारी का उल्लेख है| लहसुन की उन्नत खेती की विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- लहसुन की उन्नत खेती खेती कैसे करें
लहसुन का बीज उत्पादन के लिए उपयुक्त जलवायु
लहसुन को ठंडी जलवायु कि आवश्यकता होती है, वैसे लहसुन के लिए गर्म तथा सर्दी दोनों ही कुछ कम रहें तो उत्तम रहता है| अधिक गर्म और लम्बे दिन इसके कंद निर्माण के लिए उत्तम नहीं रहते है छोटे दिन इसके कंद निर्माण के लिए अच्छे होते है अर्थात इसकी वानस्पतिक बढ़वार के लिए कम तापमान जबकि गाँठो के उचित विकास के लिए कम से कम 10 घन्टों की प्रतिदिन प्रकाश अवधि की आवश्यकता होती हैं|
लहसुन का बीज उत्पादन के लिए भूमि का चयन
लहसुन का बीज उत्पादन के लिए दोमट एवं बलुई दोमट भूमि, जिसमें जल निकास का उचित प्रबन्ध हो, उपयुक्त होती हैं| मिट्टी का पी एच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए|
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लहसुन का बीज उत्पादन के लिए खेत की तैयारी
लहसुन का बीज उत्पादन हेतु खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने के उपरान्त आवश्यकतानुसार एक से दो जुताईयाँ देशी हल या हैरो से करके पाटा लगाकर ढेले तोड़ने के उपरान्त मिट्टी को भुरभुरा बना लें| तत्पश्चात् बुवाई हेतु भूमि को समतल कर लें|
लहसुन का बीज उत्पादन के लिए अनुमोदित किस्में
मटर का बीज उत्पादकों को अपने क्षेत्र की प्रचलित और अधिक उपज वाली उन्नत किस्म का चयन करना चाहिए| जहां तक संभव हो सके उन्नत प्रजाति के जनक या आधारीय बीज किसी भी मान्य संस्था या बीज प्रमाणीकरण एजेन्सी से ही प्राप्त करें हैं| बीजों के थैलों पर लगे टैग्स तथा प्रमाण पत्र अच्छी तरह सम्भाल कर रखना चाहिए| लहसुन की कुछ प्रचलित और अनुमोधित किस्मे इस प्रकार है, जैसे-
एग्रीफाउण्ड व्हाइट (जी- 41), यमुना सफेद (जी- 1), यमुना सफेद- 2 (जी- 50), यमुना सफेद- 3(जी- 282), यमुना सफेद- 5 (जी- 189), एग्रीफाउण्ड पार्वती (जी- 313), पार्वती (जी- 323), जामनगर सफेद, गोदावरी (सेलेक्सन- 2), स्वेता (सेलेक्सन- 10), टी- 56-4, भीमा ओंकार, भीमा पर्पल, वीएल गार्लिक- 1 और वीएल लहसुन- 2 आदि प्रमुख है| किस्मों की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- लहसुन की उन्नत किस्में, जानिए उनकी विशेषताएं और पैदावार
लहसुन का बीज उत्पादन के लिए पृथक्करण की दुरी
लहसुन की दो भिन्न किस्मों के खेतों के बीच की दूरी आधारीय तथा प्रमाणित बीज के लिए कम से कम 5 मीटर रखनी चाहिए|
लहसुन का बीज उत्पादन के लिए बुवाई की विधि
लहसुन का बीज उत्पादन हेतु किसी कृषि यंत्र से 15 सेंटीमीटर की दूरी पर नालियाँ बना लेते हैं| इनमें हाथ से 7.5 से 10 सेंटीमीटर की दूरी पर लहसुन की फॉक डाल दी जाती हैं| हल के पीछे कूड़ बनाकर बुवाई करने से समय एवं श्रम की बचत होती हैं और फॉको को कूड़ों में गिरा दिया जाता हैं| एक कूड़ से दूसरे कूड़ की दूरी 15 सेंटीमीटर और एक फॉक से दूसरी फॉक की दूरी 7.5 से 10 सेंटीमीटर रखी जाती हैं| मैदानी और मध्य पर्वतीय क्षेत्रो में लहसुन की बुवाई सितम्बर से अक्टूबर माह तक की जाती है|
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लहसुन का बीज उत्पादन के लिए बीज चयन और मात्रा
लहसुन का बीज उत्पादन के लिए गाँठो की बाहरी सतह से क्षति एवं रोगमुक्त, स्वस्थ फॉक ही बुवाई करने हेतु उपयोग में लानी चाहिए| आठ से 10 मिलीमीटर ब्यास वाले फॉक बुवाई के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं| एक हैक्टेयर भूमि के लिए औसतन 3.5 से 5 कुन्तल फॉको की आवश्यकता होती है|
लहसुन का बीज उत्पादन के लिए खाद और उर्वरक
लहसुन की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस और 50 किलोग्राम पोटाश तथा 200 से 300 क्विंटल कम्पोस्ट या गोबर की सड़ी खाद प्रति हेक्टेयर देना चाहिए| नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा खेत तैयार करते समय मिटटी में मिला देनी चाहिए| नाइट्रोजन की बची हुई मात्रा का जब पौध में बढ़वार होने लगे तो खड़ी फसल में दो बार टाप ड्रेसिंग के रूप में छिड़काव करना चाहिए|
लहसुन बीज उत्पादन फसल में खरपतवार और सिंचाई प्रबंधन
वर्षा न होने एवं खेत में नमी न होने पर बुवाई के तुरन्त बाद पहली सिंचाई तथा दूसरी सिंचाई एक सप्ताह बाद करनी चाहिए| आवश्यकतानुसार हर 10 से 15 दिन के अन्तराल पर लहसुन बीज की फसल में सिंचाई करते रहना चाहिए| प्रथम तीन महीनों में खरपतवारों को निराई-गुड़ाई करके निकालते रहना चाहिए और ध्यान रखें कि गाँठों को हानि न पहुँचे|
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लहसुन का बीज उत्पादन फसल से अवांछनीय पौंधो को हटाना
शुद्ध लहसुन का बीज उत्पादन हेतु अवांछित पौंधे, जैसे खरपतवार, रोगग्रस्त पौंधे, अन्य प्रजाति के पौधे एवं उसी प्रजाति के भिन्न पौधो को हटा दे, ताकि बीज फसल की अनुवांशिक शुद्धता बनी रहे| साधारणतया बीज फसल की परिपक्वता अवस्थाओं में अवांछनीय पौंधो को हटाया जाता है| आमतौर पर लहसुन बीज की फसल में निम्नलिखित अवस्थाओं में अवांछनीय पौंधो को हटाया जाता है, जैसे-
बुवाई के बाद- पत्तियों और पौंधे की बढ़वार के आधार पर|
शल्ककंद की खुदाई उपरान्त- प्रजाति विशेष कंद के गुणों के आधार पर|
लहसुन का बीज उत्पादन के लिए प्रमाणीकरण मानक
लहसुन का बीज उत्पादन फसल के न्यूनतम प्रमाणीकरण मानक, इस प्रकार है, जैसे-
बीज फसल- आधारीय बीज
पृथक्करण दुरी- 5 मीटर न्यूनतम
अवांछनीय पौधे- 0.10 प्रतिशत अधिकतम
फसल निरिक्षण- 2 बार|
बीज फसल- प्रमाणित बीज
पृथक्करण दुरी- 5 मीटर न्यूनतम
अवांछनीय पौधे- 0.20 प्रतिशत अधिकतम
फसल निरिक्षण- 2 बार|
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लहसुन बीज उत्पादन फसल में रोग और कीट नियंत्रण
बैगनी धब्बा रोग- शुरू में इस रोग के लक्षण लहसुन की पत्तियों पर दिखाई देते है| रोग ग्रसित भागों पर छोटे, धंसे हुए धब्बे बनते हैं और धब्बों का मध्य भाग बैगनी रंग का हो जाता है| अधिक प्रकोप होने पर धब्बे पुष्प डंठल को चारों ओर से घेर लेते हैं| ग्रसित पुष्प, डंठल सहित टूटकर गिर जाते है|
नियंत्रण- इस रोग का विकास 30 से 35 डिग्री सेल्सियस और 80 से 90 प्रतिशत आर्द्रता पर अत्यधिक होता है| इसकी रोकथाम के लिए बीज को 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से थाइम से उपचारित करें| तदुपरान्त पौंधो पर रोग के लक्षण दिखाई देते ही खड़ी फसल में मैंकोजेब (0.25 प्रतिशत) या क्लोरोथेलानिल के 0.2 प्रतिशत घोल का 10 से 15 दिनों के अन्तराल पर छिड़काव करें|
स्टेमफिलियम झुलसा- रोगग्रस्त पत्तियाँ शीर्ष से चाँदीनुमा होती हैं और पत्तों के शीर्ष पर सफेद धब्बे बनते हैं, जो नीचे की तरफ फैलते हैं| इसका नियंत्रण भी बैंगनी धब्बा रोग के समान है|
नियंत्रण- इस रोग के नियंत्रण हेतु 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से मैंकोजेब का स्टीकर के साथ छिड़काव करें|
चुरड़ा कीट- वयस्क और शिशु, पत्तियों की ऊपरी सतह को खुरचकर उससे रस चूसते हैं| जिन पत्तियों पर प्रकोप होता है, उन पर सफेद छोटे-छोटे धब्बे दिखाई पड़ते हैं तथा बाद में पत्तियाँ मुड़ जाती हैं, जिसे सिल्वर टॉप भी कहते हैं| ये कीट विषाणु रोगों को भी फैलाता है|
नियंत्रण- इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल या डायमेथॉएट का 0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोल या मैलाथियान 0.1 प्रतिशत का छिड़काव करें|
तम्बाकू की सुंडी- यह सुंडी मुख्यतः पत्तियों को खाती है| वयस्क मादा पत्तियों की निचली सतह पर झुण्डों में अण्डे देती हैं|
नियंत्रण- इसके नियंत्रण हेतु अण्डों के झुण्ड दिखाई देने पर उन्हें दबा कर नष्ट कर देना चाहिए| प्राफेनोफॉस 50 ई सी का 2 मिलीलीटर या एण्डोक्साकार्ब 14.5 ई सी का 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें| लहसुन का बीज उत्पादन फसल में रोग एवं किट नियंत्रण की अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- प्याज व लहसुन की फसल में एकीकृत रोग एवं कीट प्रबंधन कैसे करें
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लहसुन बीज उत्पादन फसल की खुदाई
जब लहसुन का बीज उत्पादन फसल की पत्तियां पीली या भूरी पड़ कर झुकने लगे, तो फसल तैयार समझी जानी चाहिये| खुदाई के समय शल्ककन्दों को न्यूनतम क्षति पहुँचाने के लिए दो तीन दिन पहले मिट्टी को पानी देकर नम कर देना चाहिये| इसके बाद खुदाई खुरपी या कसोले की सहायता से की जाती हैं|
लहसुन बीज उत्पादन फसल से पैदावार
साधारणतया पैदवार मौसम की अनुकूलता, किस्म के चयन, फसल की देखभाल और सस्य क्रियाओं पर आधारित होती है| लहसुन का बीज उत्पादन फसल की देखभाल यदि उपरोक्त वैज्ञानिक तकनीक से की गई है, तो 150 से 270 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उपज प्राप्त होती है|
लहसुन बीज कंदो का भण्डारण
खोदे गए कंदों पर पडी सूखी पत्तियों को और अनावश्यक जडों को काट-छाँटकर साफ कर लेना चाहिए| उसके बाद कंदों को 3 से 4 दिन तक हवा में सूखने हेतु रखें, फिर उनका सामान्य ताप पर लहसुन बीज का भण्डारण कर लेना चाहिए| बीज कंदो के उचित भण्डारण हेतु कुछ बिन्दुओं पर ध्यान दिया जाना महत्वपूर्ण हैं, जैसे-
1. पूर्ण परिपक्व और सूखे कंद का ही भंडारण करें|
2. भंडारण में हवा का आवागमन उचित बनाये रखें|
3. भण्डारण के दौरान रोग-ग्रसित कन्दों का निष्कासन करते रहें|
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