सब्जियों की फसलों से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए मौसम का सब्जियों फसल के अनुकूल होना बहुत आवश्यक है| मौसम की प्रतिकूल दशाओं जैसे असमय वर्षा , लू चलना, ओले गिरना या पाला पड़ने से फसलों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है| सर्दियों में विशेषकर दिसंबर से जनवरी के महीनों में पाला पड़ता है|
इसका मुख्य हानिकारक प्रभाव आलू, मटर, अन्य कोमल पत्ते वाली सब्जियों, सरसों एवं नए लगाए गये फल तथा सब्जियों की नर्सरी पर भी पड़ता है| पौधे का प्रत्येक भाग असंख्य कोष्ठकों द्वारा निर्मित होता है, एवं इसके चारों और कोष्ठक भित्ति तथा इसके बीच में पारदर्शक पोषक रस होता है|
जब पाला पड़ता है, तब यह पोषक रस जम जाता है एवं इससे कोष्ठक भित्ति का सीमित आयतन फट जाता है, जिस कारण पौधे की पत्तियां, तना एवं कभी-कभी पूरा पौधा ही निर्जीव हो जाता है| इससे बचने के लिए सब्जियों की फसल उत्पादकों को निम्न बातों का ख्याल रखना चाहिए|
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सब्जियों का पाले से बचाव के उपाय
1. सब्जियों की बिजाई के समय पालारोधी किस्मों का चयन करना चाहिए, ताकि इन फसलों पर पाले का कोई दुष्प्रभाव न पड़े|
2. सब्जियों की फसल की हल्की सिंचाई थोड़े अंतराल में करनी चाहिए, क्योंकि वायु का ताप हिमांक तक नहीं पहुंच पाता जिससे पाला न पड़कर ओस पड़ जाती है, जो हानिकारक नहीं होती|
3. नर्सरी, गृहवाटिका एवं अन्य कीमती मुलायम पौधों को पुआल, पकड़ा, सूखी पत्तियां, पोलीथीन और बुरादा आदि बिछा देने से भूमि की नमी को संचित कर एवं गर्मी को विकिरण क्रिया द्वारा रोककर भूमि के तापमान को नियंत्रित किया जा सकता है|
4. नर्सरी तथा अन्य कीमती पौधों को झील, तालाब, जलाशय के पास लगाना चाहिए, क्योंकि इन स्थानों के निकट वायु अधिक ठण्डी नहीं हो पाती है और पानी का तापभूमि सतह की वायु की अपेक्षा अधिक रहता है, जिससे इन स्थानों पर पाले का प्रभाव न के बराबर पड़ता है|
5. पलवार बिछाना द्वारा घासफूस, स्थानीय घास, फल वृक्षों की पत्तियां इकट्ठी करके चारों ओर फैला देने से पाले का असर कम हो जाता है। ताजे गोबर का पौधे के तने पर लेपन करने से भी काफी हद तक पाले से नुकसान कम किया जा सकता है|
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6. पौधों को ढकने द्वारा भी छोटे पौधे विशेष कर जब एक या दो साल के हों तो उन्हें प्लास्टिक की पतली चादर से ढंकना लाभकारी होता है| ऐसा करने से प्लास्टिक के अन्दर का तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है और सतह का तापमान जमाव बिन्दु तक नहीं पहुंच पाता तथा पौधे पाले से बच जाते हैं|
7. ग्रामीण क्षेत्रों में सरकंडा और धान का पुआल इस उद्देश्य के लिए सस्ता साधन साबित हो सकता है| पेड़ के चारों ओर झोपड़ी या टाटी बनाने से छोटे पौधों को पाले से बचाया जा सकता है|
8. पाले की रोकथाम की व्यावहारिक विधियों को अपना कर पाले के विपरीत प्रभाव को कम किया जा सकता है|
उक्त उपाय करने से किसान भाई सब्जियों का पाले से बचाव या प्रभाव कम करके फसल से अधिक उत्पादन ले सकते हैं|
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