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अजोला की खेती एवं हरे चारे के रूप में पशुओं के लिए उपयोग

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अजोला की खेती

अजोला एक मुक्त अस्थायी रूप से तैरने वाला फर्न (हरी पत्तियों वाला पौधा जिसमें फूल नहीं खिलते) हैं| चावल की फसल के लिए यह एक सामान्य जैविक उर्वरक है| यह पौधा बलू ग्रीन एलगी के साथ सहजीवी संबंध बनाकर उगता है और नाइटोजन स्थिरीकरण के लिए आवश्यक होता है| अजोला के पत्ते त्रिकोणाकार और बहुभुजाकार होते है| वे पानी की सतह पर अकेले या कालीन के आकार में तैरते हैं| अजोला वर्ग की विभिन्न जातियों में एक पिन्नाटा सबसे ज्यादा प्रचलित जाति है|

इसकी कूड प्रोटीन सामग्री और आवश्यक ऐमिनो एसिड के कारण यह पशुओ, मुर्गियों और मछलीयों के लिए उपयुक्त होता है| अजोला की सरल खेती एवं उच्च उत्पादकता के कारण इसे हम आसानी से पशुओं के लिए उच्च कोटि के खाद्य पदार्थ के रुप में प्रयोग कर सकते हैं| यह विटामिन ए एवं बी- 12 और खनिज पदाथ जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटाशियम, फास्फोरस आदि से परिपूर्ण होते हैं|

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पोषक तत्व की मात्रा

विभिन्न शोध के अनुसार अजोला में पोषक तत्व की मात्रा इस प्रकार है, जैसे-

क्रम संख्या  पोषक तत्व  शुष्क पदार्थो का प्रतिशत 
1 क्रूड प्रोटीन 21 से 24
2 क्रूड फाइबर 9 से 12
3 इथर एक्सट्रेक्ट 2.5 से 3
4 राख 10 से 12
5 नाइट्रोजन मुक्त एक्सट्रेक्ट 45 से 47
6 कैल्शियम 0.7 से 1.1
7 फास्फोरस 0.8 से 1.2
8 लाइसिन 0.98
9 मिथियोनिन 0.34
10 सिस्टीन 0.18

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अजोला को उगने हेतु आवश्कताएं

अजोला तालाब, समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय क्षेत्र की झीलों में पाया जाता है| पौधे में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए सूर्य के प्रकाश की आवश्यक्ता होती है| इसके विकास के लिए आंशिक छाया की जरुरत भी होती है| सामान्यता इसके विकास के लिए 25 से 50 प्रतिशत सूर्य के प्रकाश की आवश्यक्ता होती है| अजोला की वृद्धि और विकास के लिए पानी एक मूलभूत तत्व है|

तालाब में पर्याप्त जल स्तर 4 इंच तक रखना आवश्यक है| विभिन्न जातियों के लिए आदर्श तापमान भिन्न भिन्न होता है, सामान्यता आदर्श तापमान 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट होता है| 37 डिग्री सेंटीग्रेट से अधिक तापमान अजोला की वृद्धि को गम्भीरता से प्रभावित करता है| रेलेटिव आर्द्रता 95 से 90 प्रतिशत होनी चाहिए|

पौधे के लिए जरूरी पी एच मान 5 से 7 है| ज्यादा अम्लीय और ज्यादा क्षारीय पी एच मान प्रतिकूल प्रभाव डालती है| अजोला पोषक तत्वों को पानी में से अवशोषित करता है| यद्यपि सारे तत्व आवश्यक होते हैं, परन्तु फासफोरस की सही मात्रा 200 पी पी एम होनी चाहिए|

अजोला की खेती तकनीक

इसकी खेती ताजे पानी के कम गहरे तालाब में की जाती है| अजोला के उत्पादन की प्रक्रिया नीचे दी गई है| जो इस प्रकार है, जैसे-

तालाब के लिए स्थान का चयन

घर के निकट स्थान का चयन तालाब के नियमित रखरखाव और निगरानी के लिए बेहतर होता है| एक उपयुक्त जल संसाधन नियमित पानी की लिए निकट होना चाहिए| आंशिक नया वाला स्थान आवश्यक होता है, जोकि पानी के वाष्पीकरण को कम करता है और अजोला के विकास के लिए उपयुक्त होता है| तालाब का तल जड़ों, कांटों और पत्थरों से मुक्त होना चाहिए|

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तालाब का आकार और संरचना

तालाब का आकार पशुओं की संख्या, पूरक आहार की मात्रा और संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है| छेटे किसानों एवं पशुपालकों के लिए तालाब का क्षेत्रफल 6 x 4 फीट उपयुक्त होता है| इस तालाब में 1 किलोग्राम अजोला प्रतिदिन आसानी से उत्पादित किया जा सकता है| चयनित स्थान साफ एवं समतल होना चाहिए| तालाब की चारों दीवारों का तटबंध इंटों या मिटी द्वारा उठा होना चाहिए| टिकाउ प्लास्टिक शीट बिछाने के बाद उसे दीवारें पर इटं रखकर टिका देना चाहिए|

शीट में छेद नही होने चाहिए, जिससे पानी की मात्रा व्यर्थ ना हो| शुरुआती आजोला कल्चर डालने के बाद तालाब को जाले से ढक देना चाहिए, ताकि उसे छायाँ मिले और उसमें मलबा भी न गिरे| जाले को टिकाने के लिए लकड़ी या बांस के डंडों का प्रयोग किया जा सकता है| जाले और प्लास्टिक शीट दोनो को ईटो और पत्थरों से दबा दें, जिससे हवा जाले और शीट दोनो को नुक्सान न पहुंचा सके|

तालाब का रखरखाव

लगभग 1 किलोग्राम गोबर और 100 ग्राम सपर फोसफेट प्रति 15 दिन में डालने से अजोला का अच्छा विकास होता है| तालाब को छह महीने में एक बार खाली करना चाहिए| खेती को दोबारा से शुरु करने के लिए ताजा आजोला के जीवाणुओं को डालना चाहिए|

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अजोला उत्पादन

छनी हुई उर्बरक, मिटी में गोबर के मिश्रण और पानी को साथ में तालाब में फैलाएं| एक किलोग्राम ताजा अजोला के जीवाणुओं को 6 x 4 फीट के तालाब में डालें| इसे तालाब में एक साथ फैलाना होता है| बायोगैस का प्रयोग गोबर के स्थान पर कर सकते है| पानी की गहराई 4 से 6 इंच तक होनी चाहिए|

बरसात के मौसम के दौरान बारिश के पानी का जाले से टपकने से अजोला काफी तेजी से वृद्धि और विकास करता है| यदि वर्षा के पानी की पी एच मान प्रभाव हीन हो और पोष्क तत्व उपस्थित हों तो अजोला का विकास काफी तेजी से होता है| यदि पानी में नमकीन तत्व ज्यादा हो तो अजोला की वृद्धि और विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है|

अजोला की फसल एवं आहार

तालाब में अजोला के विकसित होने का समय लगभग दो से तीन सप्ताह है| इसके विकास का समय प्रारमभिक जीवाणुओं की मात्रा, पर्यावरण परिस्थिति और पोषक तत्वों पर निर्भर करता है| पौधे के पूरी तरह विकसित होने के बाद इसे रोजाना काटा जा सकता है| प्लास्टिक छननी द्वारा इसे तालाब की सतह में से काट कर इकटठा कर सकते है| यदि भूसे का ढेर तालाब में दिखाई पड़े तो उसे हटा देना चाहिए|

प्रति दिन 1 किलोग्राम ताजा अजोला 6 x 4 फीट के तालाब में आसानी से उत्पादित किया जा सकता है| यदि किसान के पास दो गाय है तो उसे 12 x 4 फीट या 14 x 3 फीट के तालाब का प्रयोग करना चाहिए, जिसमें 2 किलोग्राम अजौला को रोजाना उत्पादित किया जा सके| यदि अजोला ज्यादा मात्रा में उत्पादित हो, तो उसे छाया में सुखाकर भविष्य में प्रयोग करने के लिए रख सकते है|

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इसको पशुओं को ताजा या सूखे चारे के रुप में खिला सकते है| इसे पशुओं के चारे में मिला कर भी खिला सकते है| राष्ट्रीय कृषि नवोनिवेशी परियोजना के अन्र्तगत कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले में विभिन्न गांवों के लगभग सौ किसानों के साथ अध्ययन करने पर पता चला कि 800 ग्राम अजोला प्रतिदिन गाय को खिलाने से दूध की मात्रा को लगभग 10 लीटर प्रति गाय बढ़ाई जा सकती है|

इसके पौधे को स्वाद में लाने के लिए गाय को कुछ दिन का समय लग जाता है| इसलिए प्रारम्भ में अजोला को पानी में धोकर और चारे में मिलाकर खिलाएं जिससे इसकी गंध को कम किया जा सके| जिस पानी में अजोला को धोएं उसे बाद में तालाब में डाल दें, जिससे पानी व्यर्थ न हो जाए|

अर्थ व्यवस्था

6 x 4 फीट के तालाब को बनाने और रखरखाव का खर्च लगभग 1500 रूपये है (500 रूपये शीट और मजदूरी का मूल्य) परन्तु इससे 3 महीने का दुग्ध बढोतरी का मूल्य कई गुना होगा|

फायदे 

1. इसकी खेती को छोटे क्षेत्र में भी दुग्ध किसानों द्वारा आसानी से प्रयोग में लाया जा सकता है|

2. इसका उत्पादन काफी कम मूल्य में भी हो सकता है|

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3. यह लगभग 10 लीटर प्रति गाय दूध उत्पादन में वृद्धि करता है|

4. यह पशुओं के लिए पोषक तत्व प्रदान करता है|

5. दूध उत्पादन का खर्च अजोला को चारे में मिला कर कम किया जा सकता है|

अजोला की चारे के रुप में प्रयोग की सीमाएं

1. सूखे चारे के रुप में लगभग 7 प्रतिशत अजोला ही प्रतिदिन प्रयोग में ला सकते है|

2. पर्यावरण परिस्थितियां जैसे- ज्यादा तापमान, कम आदता, सीमित पानी की उपल्ब्धता, घटिया किस्म का पानी अजोला की उत्पादकता को कम करता है|

सारांश

अजोला की खेती पशुओं के मालिकों द्वारा 6 x 4 फीट के तालाब में 500 रूपये के व्यय में आसानी से की जा सकती है| अजोला पशुओं के लिए पोषण प्रदान करने वाला पौधा है| इसके प्रयोग से एक महीने में दूध की मात्रा को 10 लीटर प्रतिगाय बढ़ाई जा सकती है और पशुओं की प्रजनन शक्ति भी अच्छी रहती है|

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