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आड़ू का प्रवर्धन कैसे करें, जानिए उपयोगी और आधुनिक व्यावसायिक तकनीक

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आड़ू का प्रवर्धन कैसे करें

आड़ू का प्रवर्धन, आड़ू शीतोष्ण व समशीतोष्ण प्रदेशों का एक प्रसिद्ध फल है| आड़ू का फल खनिज तत्व लोहे का अच्छा स्त्रोत हैं, इसमें विटामिन ए एवं अन्य विटामिन और खनिज लवण भी अच्छी मात्रा में पाये जाते हैं| इसके फलों को ताजा खाने, पेय बनाने और अन्य फल पदार्थों के रूप में प्रयोग किया जाता है| डिब्बाबंदी द्वारा फल दूर के बाजारों में भेजे जा सकते हैं| इसके बीजों से निकली गिरी से तेल निकाल कर साबुन, क्रीम और अन्य औधौगिक इकाईयों में उपयोग किया जा सकता है| यदि आप आड़ू की बागवानी की पूरी जानकारी चाहते है, तो यहां पढ़े- आड़ू की खेती कैसे करें, जानिए उपयुक्त जलवायु, किस्में, रोग रोकथाम, पैदावार

यह भी पढ़ें- चीकू का प्रवर्धन कैसे करें, जानिए उपयोगी और आधुनिक व्यावसायिक तकनीक

आड़ू का प्रवर्धन

आड़ू का प्रवर्धन के लिए चिकनी एवं गीली मिट्टी के लिए काबुल ग्रीनगेज अलूचा का मूलवृन्त प्रयोग किया जाना चाहिए| आड़ू का व्यावसायिक प्रवर्धन काबुल ग्रीन गेज अलूचा के कलमी पौधों पर आड़ू की क्लैफ्ट या टंग ग्राफ्टिंग करके किया जाता है|

क्लैफ्ट या टंग ग्राफ्टिंग (कलम बांधना)

आड़ू का प्रवर्धन हेतु ग्राफ्टिंग नवम्बर से दिसम्बर में की जाती है| मूलवृन्त पौधे तैयार करने के लिए काबुल ग्रीन गेज अलूचा की कलमों को 2000 पीपीएम आईबीए से उपचारित करके नवम्बर से दिसम्बर में नर्सरी में लगाते हैं| कलम से तैयार अलूचा के एक वर्षीय पौधों पर नवम्बर से दिसम्बर में आडू की सिफारिश की हुई किस्म की सायन टहनी ले जिस पर चार आंखे प्रति सायन टहनी हों उसी की कलैफ्ट या टंग ग्राफ्टिंग करनी चाहिये

आड़ू का प्रवर्धन हेतु आड़ू के पेड़ों से नवम्बर से दिसम्बर में कलमें लेकर भी पौधे तैयार किए जा सकते हैं| वार्षिक काट-छांट के समय एक वर्ष पुरानी टहनियों से कलम बनाते समय उसके तल पर लकड़ी का टुकड़ा साथ रखना चाहिए| इन कलमों को 50 प्रतिशत अलकोहल में 2000 पीपीएम 2.5 ग्राम प्रति लीटर आईबीए के घोल में कलम के आधार की ओर वाला 5 सेंटीमीटर सिरा भिगो कर मिस्ट चैम्बर में फुटाव के बाद नर्सरी की क्यारियों में लगाएं| इन कलमों में 80 प्रतिशत तक जड़े निकल आती हैं, बिना आईबीए लगाई हुई कलमें केवल 35 प्रतिशत तक जड़े देती हैं|

यह भी पढ़ें- सब्जियों की नर्सरी (पौधशाला) तैयार कैसे करें, जानिए आधुनिक तकनीक

आड़ू का प्रवर्धन के लिए रेतीली या दोमट मिट्टी में आड़ू के बीजू पौधों को मुलवृन्त के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए| देशी आडू के फल ग्रीष्मकाल में परिपक्व होते हैं| अच्छी तरह पके फलों से बीज निकालकर उन्हें साफ पानी से धो लें, गुठलियों को तोड़ कर बीज निकालें और बीजों को ठण्डे स्थान पर भन्डारित करें|

इन बीजों को 5 डिग्री सैल्सियस तापमान पर लगभग चार महीने तक स्ट्रैटीफिकेशन करना अति आवश्यक है| जब स्ट्रैटीफिकेशन पूर्ण नहीं हो तो बुआई से पहले बीजों को लगभग 24 घण्टों तक 150 पीपीएम जिब्रेलिक एसिड के घोल में भिगोए रख कर उपचारित करें| उपचार के बाद बोने से बीजों की अंकुरण क्षमता बढ़ जाती है, उपचारित करते ही इन बीजों की फरवरी के शुरू में तैयार क्यारियों में बुआई की जाती है|

जब आडू के बीजू पौधे लगभग एक वर्ष के हो जाएं, तब आड़ू का प्रवर्धन के लिए नवम्बर से दिसम्बर में उन पर अच्छी किस्म की टहनी चार आंखों प्रति सायन टहनी से क्लैफ्ट या टंग ग्राफ्टिंग करें| इसके पश्चात जुलाई में जड़ों के इर्द-गिर्द मिट्टी के साथ और जनवरी में जड़ों के इर्द-गिर्द बिना मिट्टी के ये ग्राफ्टिड पौधे खेत में लगाए जा सकते हैं|

उपरोक्त क्लैफ्ट या टंग ग्राफ्टिंग प्रक्रिया के तहत किसान और बागवान भाई आड़ू का प्रवर्धन उपयोगी और आधुनिक व्यावसायिक तकनीक से कर सकते है, और प्राप्त पौधों से अपने बाग की स्थापना भी सफलतापुर्वक कर सकते है|

यह भी पढ़ें- बागवानी पौधशाला (नर्सरी) की स्थापना करना, देखभाल और प्रबंधन

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